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असम के दक्षिण-पश्चिमी जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय – I

-न्यूजक्लिक, दुनियाभर में कोविड-19 के प्रसार ने एक प्रकार से भानुमति का पिटारा ही खोलकर रख दिया है, क्योंकि अधिकाँश देशों में मामलों की संख्या में दिन-दूनी रात-चौगुनी वृद्धि से निपटने के मामलों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहद अपर्याप्त पाया गया था। कई देशों में मौतों को रोक पाना बेहद दुष्कर कार्य जान पड़ा। महामारी ने वैज्ञानिक समुदाय के सामने एक हिमालय जैसी अलंघ्यनीय चुनौती पेश कर दी थी –...

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नोटबंदी के पांच साल बाद मोदी सरकार के पास इसकी सफलता बताने के लिए कुछ भी नहीं है

-द वायर, भारतीय अर्थव्यवस्था अभी तक नोटबंदी के साए से बाहर नहीं निकल पाई है. भारतीय रिजर्व बैंक ने जानकारी दी है कि भारत के नागरिकों के हाथों में नकद ऐतिहासिक स्तर पर है. 4 नवंबर, 2016 को यह 17.5 ट्रिलियन रुपये था. 8 अक्टूबर, 2021 को यह 57 फीसदी के जबरदस्त उछाल के साथ 28 ट्रिलियन रुपये हो चुका है. इसका नतीजा यह है कि भारत का नकद-जीडीपी अनुपात अब बढ़कर...

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महासागरों में समा रहा है कोविड-19 का 80 लाख टन से अधिक प्लास्टिक कचरा

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 से संबंधित प्लास्टिक का कचरा 21वीं सदी में हमारे सामने आने वाली एक बहुत बड़ी समस्या है। इससे निपटने के लिए बहुत सारे तकनीकी नवीनीकरण, अर्थव्यवस्था और जीवन शैली में बदलाव की आवश्यकता है। दुनिया भर में, कोविड-19 महामारी ने फेस मास्क, दस्ताने और फेस शील्ड जैसे एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक की मांग में वृद्धि की है। इनमें से अधिकतर कचरा, नदियों और महासागरों में समा...

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यूरिया की कीमत 900 डॉलर पर पहुंची, वैश्विक बाजार में लगातार बढ़ रहीं हैं उर्वरकों की कीमतें

-हरवीर सिंह, साल भर के भीतर वैश्विक बाजार में जिस तरह से उर्वरकों और उनके कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है वह सरकार और  घरेलू उर्वरक उद्योग दोनों के लिए मुश्किलें बढ़ा रही हैं। जिस तरह की कीमत वृद्धि डाई अमोनियम फॉसफेट (डीएपी) और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) में हुई है उसी तरह की कीमत वृद्धि यूरिया की कीमतों में देखने को मिल रही है। देश में आयातित यूरिया...

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भारत में 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार, 17.7 लाख अत्यंत कुपोषित: सरकारी आंकड़े

-द वायर, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में बताया है कि देश में 33 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं और इनमें से आधे से अधिक अत्यंत कुपोषित की श्रेणी (एसएएम) में आते हैं. कुपोषित बच्चों वाले राज्यों में महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात शीर्ष पर हैं. महिला और बाल विकास मंत्रालय ने निर्धन से निर्धनतम लोगों में कोविड...

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