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स्कूली शिक्षा में भेदभाव की विषबेल-- प्रियंका कानूनगो

भारत की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में कई प्रकार से शैक्षिक भेदभाव व्याप्त है, खासतौर पर स्कूली शिक्षा में इसकी जड़ें बहुत गहरे जम चुकी हैं। इस विषबेल को खाद, पानी, पोषण देने वाला ताकतवर समूह शिक्षा का बाजारीकरण कर उस बाजार का नियंत्रक बना बैठा है, जो कि संगठित माफिया की तरह कार्यरत है। वह न केवल नियमों को तोड़ता है बल्कि मनमाफिक नियम निर्धारण में भी पर्याप्त सक्षम है।...

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बलरामपुर कलेक्टर ने सरकारी स्कूल में कराया अपनी बेटी का दाखिला

अंबिकापुर/बलरामपुर। निजी स्कूलों की शिक्षा को महत्वपूर्ण मानने वाले अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों के साथ आम नागरिकों को यह खबर सोचने पर मजबूर कर सकती है। शिक्षा के मामले में संवेदनशील माने जाने वाले बलरामपुर कलेक्टर अवनीश शरण ने अपनी पांच वर्षीया सुपुत्री बेबिका का दाखिला बलरामपुर जिला मुख्यालय में स्थित शासकीय प्राथमिक शाला में कराया है। शिक्षा गुणवत्ता को लेकर पूरे प्रदेश में कवायद चल रही है। इसके चलते अधिकांश सरकारी स्कूलों की...

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महिलाओं का सतत विकास--- डॉ सय्यद मुबीन जेहरा

लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्य के केंद्र में मानवता का विकास छुपा है. लोकतंत्र किसी एक की सत्ता नहीं है, बल्कि इसका अर्थ है सत्ता में सब का योगदान और सभी का विकास. इसलिए जब हालिया सरकार ने सबका साथ सबका विकास की बात की, तो इसे कुछ लोग अलग-अलग सामाजिक ताने-बाने के अनुसार परखने और प्रचारित करने में लगे. लोकतंत्र एक छोटा-सा शब्द भर नहीं है, बल्कि यह एक...

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प्लास्टिक से ढकी झोपड़ी में पढ़ रहा देश का भविष्य, ऐसे आगे बढ़ेगा इंडिया !

कोतबा। प्रशासनिक उदासीनता और शिक्षा विभाग द्वारा ध्यान न देने के कारण लंबे समय से ग्राम पंचायत कुकरगांव के ढोढ़ीडीह में संचालित प्राथमिक शाला के बच्चे प्लास्टिक से ढके झोपड़ी में रहकर अध्यापन कर रहे हैं। शिक्षा विभाग की ओर से यहां भवन निर्माण किया गया है लेकिन दो कमरे के भवन होने के कारण सभी बच्चे उक्त भवन में रहकर पढाई नहीं कर सकते। ग्राम कुकरगांव की यह तस्वीर जिले में...

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आधी आबादी के बिना कैसे पूरा हो विकास का सपना

गत महीने फेसबुक द्वारा किये एक सर्वे में यह बात सामने आयी कि भारत में हर पांच में से चार महिलाएं उद्यमी बनने की क्षमता रखती हैं, बशर्ते उनके सशक्तीकरण के प्रयास किये जायें. शोध के मुताबिक यदि अभी से शुरुआत की जाये, तो वर्तमान व्यवसाय और रोजगार के समस्त लक्ष्यों को सिर्फ 52 फीसदी महिलाओं के दम पर ही वर्ष 2021 तक ही पूरा किया जा सकता है. फिर...

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