र्ष 2014 और 2015 भारतीय किसानों के लिए बुरे थे। दो सालों तक लगातार खराब मानसून के चलते देश के ग्यारह राज्यों के ढाई सौ से ज्यादा जिलों में सूखे की स्थिति रही। इस स्थिति में भी बिहार के औरंगाबाद जिले के चिल्हकी गांव के किसान खुशहाल थे। वे आज भी खुशहाल हैं। औरंगाबाद-डाल्टेनगंज रोड पर स्थित पिछड़ी जाति बहुल इस गांव की खुशहाली का कारण गांव के ही कुछ...
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कृषि ऋण माफी के आईने में-- वरुण गांधी
साल 1865 में अमेरिकी गृहयुद्ध के खत्म होने के बाद अमेरिका में कपास उत्पादन को फिर से बढ़ावा मिलने का नतीजा यह हुआ था कि वहां भारतीय कपास की मांग काफी कम हो गयी. इसके चलते बंबई प्रेसिडेंसी में किसानों से कपास की खरीद में कमी आयी और भुगतान-संबंधी मांग बढ़ गयी. कर्जदाता इच्छुक किसानों को कर्ज देने में हिचकने लगे या फिर वे बहुत ज्यादा ब्याज पर कर्ज देने...
More »RBI ने कहा- बैंक चाहें तो कर्ज सस्ता करने की पूरी गुंजाइश
नई दिल्ली। देश में महंगाई में मामूली वृद्धि होने की पूरी गुंजाइश है लेकिन इसके बावजूद कर्ज की दरों में कमी हो सकती है। मौद्रिक नीति तय करने के लिए गठित समिति (एमपीसी) की पिछली बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने स्वयं ही यह बात कही। पटेल ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि बैंक ब्याज दरों में कटौती का पूरा फायदा अभी तक ग्राहकों...
More »जल्द मिले सस्ती औषधि की सौगात - डॉ एके अरुण
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिया कि ऐसा कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा जिसके तहत चिकित्सकों को उपचार के लिए महंगी ब्रांडेड दवाओं की जगह जेनेरिक दवाएं (जो मूल दवा है और सस्ती होती है) ही लिखनी होंगी। उल्लेखनीय है कि बेहद महंगी दरों पर मिलने वाली ब्रांडेड दवाएं मरीजों और उनके तीमारदारों की जेब पर इतनी भारी पड़ती हैं कि अधिकांश तो पर्याप्त मात्रा में दवाएं...
More »क्या खराब होती है सस्ती जेनरिक दवाओं की क्वालिटी ?
आम लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार अब जेनेरिक दवाइयों के इस्तेमाल को लेकर प्रस्ताव लाने जा रही है. इस प्रस्ताव के तहत सभी डॉक्टर अब मरीज़ों के प्रिस्क्रिप्शन पर दवाओं के ब्रांड की बजाय उनके जेनेरिक नाम ही लिखेंगे. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इसको लेकर 'ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट' में संशोधन की तैयारियां भी शुरू कर दीं हैं. सरकार के इस फैसले से दवा बनाने वाली...
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