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किसान आंदोलन: 35 साल पुराना इतिहास दोहराता हरियाणा का एक गांव

-बीबीसी, साल 1985. इंदिरा गांधी की हत्या को एक साल गुज़र चुका था, हत्या के बाद दंगे और सिखों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा के ज़ख्म ताज़ा थे. हरियाणा में रोहतक के गाँव खरावड़ के रेलवे स्टेशन पर एक सुबह पंजाब मेल पैसेंजर ट्रेन ख़राब हो गई. ट्रेन में बड़ी संख्या में सरदार, महिलाओं और बच्चे बैठे थे. सबको चिंता थी कि सिखों के ख़िलाफ़ ख़राब माहौल के बीच हिंदू बहुल इलाक़े में इतने सरदार क्या...

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पंचतत्व: ये खलनायक हरियाली, जो हमारे जंगलों को चट कर रही है…

-जनपथ, साल 2017 की बात है जब कर्नाटक के गुंदुलुपेट-ऊटी मार्ग पर बांदीपुर नेशनल पार्क में करीब 715 वर्ग किलोमीटर जंगल जलकर स्वाहा हो गया था. वजह थी लैंटाना झाड़ी, जो समूचे जंगल में छा गयी थी. लैंटाना नाम शायद आपके लिए अपरिचित हो, पर इसकी झाड़ी से अपरिचित नहीं होंगे. झारखंड में हम लोग इसको पुटुस कहते हैं. लैंटाना अमूमन गर्मियों में सूख जाती है और बरसात में इसकी नयी पौध...

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उत्तर प्रदेश और बिहार के पांच वर्ष से कम उम्र के मासूम बच्चों पर वायु प्रदूषण का खतरा सबसे अधिक

-डाउन टू अर्थ,  उत्तर प्रदेश और बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे बड़े और प्रति व्यक्ति कम आय वाले राज्य खतरनाक स्तर के पार्टिकुलेट मैटर वाले वायु प्रदूषण की चपेट में हैं। यह राज्य वायु प्रदूषण के कारण होने वाली समयपूर्व मौतों और रुग्णता के कारण जबरदस्त आर्थिक नुकसान भी उठा रहे हैं। यह बात इस तरफ भी इशारा कर रही है कि इन राज्यों में वायु प्रदूषण की बलि सबसे ज्यादा गर्भ...

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किसान आंदोलन: क्या भारत के किसान ग़रीब हो रहे हैं?

-बीबीसी, किसानों के लगातार जारी आंदोलन के बीच भारत सरकार इस बात पर ज़ोर दे रही हैं कि बदलाव किसानों की ज़िंदगी को बेहतर बनाएंगे. साल 2016 में प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी बीजेपी ने वादा किया था कि 2022 तक वो किसानों की आय को दोगुनी कर देंगे. लेकिन क्या इस बात का कोई सबूत है कि गांव में रहने वालों कि ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव आए हैं? ग्रामीण इलाकों में आय की हालत? वर्ल्ड...

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किसान आंदोलन से देश को क्या सबक लेना चाहिए

-न्यूजलॉन्ड्री, क्या भारत के किसानों को आज पता चला है कि भारतीय झूठ पार्टी का सारा खेल नफ़रत की सौदागरी और झूठ का प्रपंच है, जो इनकी मूल संघी विचारधारा से निकलता है? ऐसा नहीं है, पता तो सबको था, पर आज वे बोलने लगे हैं. तो अब तक क्यों नहीं कह पाए थे? इस बात पर सोचना-समझना ज़रूरी है, क्योंकि किसान अपनी लड़ाई जीतेंगे और भाजपा तब भी रहेगी. दरअसल...

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