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अकेली स्त्री का घर-- क्षमा शर्मा

हमारे समाज में बूढ़ों की दुर्दशा प्रकट है। बहुत से लोग और स्वयंसेवी संगठन संयुक्त परिवार का टूटना इसकी बड़ी वजह बताते हैं, जो कुछ हद तक है भी। हालांकि यह भी समस्या का अधूरा सच है। बूढ़ों को तो हमारे यहां सदियों से वानप्रस्थ में भेजने की व्यवस्था रही है। इसके अंतर्गत राजा को भी हर सुख-सुविधा छोड़ कर जंगल में जाना और अपने प्रयासों से ही भोजन जुटाना...

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आधी-आबादी : इंसाफ का इंतजार-- अवनीश सिंह भदौरिया

दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की शिकार निर्भया के मामले में अपराधियों को कमोबेश सजा मिल भी गई, लेकिन इस तरह के तमाम मामलों में आज भी इंसाफ का इंतजार है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लड़कियों की सुरक्षा के जितने भी प्रबंध हैं, वे नाकाफी हैं। लड़कियों, महिलाओं और बच्चियों के लिए दिल्ली या दूसरे राज्य कितने सुरक्षित हैं, इसके जीते जागते उदाहरण प्रतिदिन अखबारों और टीवी चैनलों पर पढ़ने-देखने को...

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प्रदूषण घटाने के लिए सीएसआईआर का वर्चुअल अटेंडेंस फार्मूला

दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सम एवं विषम नंबर के फार्मूले को अप्रभावी बताते हुए केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान सीएसआईआर ने अपना फार्मूला सुझाया है। सीएसआईआर का कहना है कि वर्चुअल अटेंडेंस एट वर्क एंड स्कूल इससे कहीं ज्यादा प्रभाव हो सकता है। इसके तहत बुधवार को स्कूलों की पढ़ाई और दफ्तरों का कामकाज घर बैठकर किया जाए। सीएसआईआर की दिल्ली स्थित प्रयोगशाला...

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जहां हम सब असहाय हैं-- रंजना कुमारी

हमारे देश में जिस तरह का कानून है, उसमें निर्भया के गुनहगार को बाहर आना ही था। ‘जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट' के तहत अपराधी को तीन साल ही बाल सुधार गृह में रखा जा सकता है। मगर यहां इस बात पर जरूर गौर किया जाना चाहिए कि पिछले तीन वर्षों में इस अपराधी की मानसिकता में सुधार क्यों नहीं हुआ? सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से यह साफ-साफ पूछा कि...

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गहरी समस्याओं के सतही समाधान - संजय कपूर

मैं पिछले 28 सालों से दिल्ली में रह रहा हूं और प्रदूषण का स्तर यहां हमेशा बेहद ज्यादा रहा है। 80 के दशक के अंत में जब मैं अपनी टू-व्हीलर से इस शहर के चक्कर लगाता था, तब भी यहां प्रदूषण का यह आलम था कि दिन खत्म होते-होते मेरे चेहरे पर कालिख की हल्की-सी परत जम जाया करती थी। तब भी हम यही पाते थे कि सरकारें इस समस्या...

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