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बच्चों के पोषाहार से पलते बिचौलियों के परिवार

पटना स्कूली बच्चों के पोषाहार से बिचौलियों का परिवार पल बढ़ रहा है। स्कूलों के लिए आवंटित पोषाहार का अनाज महीनों तक राज्य खाद्य निगम के गोदाम में पड़ा रहता है। यह स्थिति न केवल पटना बल्कि भोजपुर, रोहतास, कैमूर जिले सहित पूरे प्रमंडल की है। बीते अप्रैल महीने में पटना के चांदमारी रोड में करीब 15 सौ बोरे में पोषाहार का चावल जब्त किया गया। इस मामले में कंकड़बाग थाने में नामजद प्राथमिकी हुयी...

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मुखिया पर हावी है नौकरशाह

भागलपुर। भागलपुर की दर्जनों महिला मुखिया ने कहा है कि पिछले साढ़े चार साल में उन्हें अपने कार्यों के संचालन में समस्याओं व चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। मुखिया की कार्यशैली पर नौकरशाह हावी है। पंचायत सचिव भी मनमानी करते हैं। प्रखंड से जिला तक रिश्वतखोरों का बोलबाला है। बिना रिश्वत के काम नहीं होने की स्थिति में मुखिया को भी चढ़ावा देना पड़ता है। मंगलवार को एक एनजीओ के तत्वावधान में स्थानीय...

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नक्सलियों के डर से गांव किया खाली

रायपुर। नक्सलियों द्वारा पुलिस का मुखबिर करार दिए जाने के बाद छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में 35 परिवारों के करीब 150 लोग अपना पैतृक गांव छोड़ कर चले गए हैं। बस्तर क्षेत्र में बीजापुर, बस्तर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले शामिल है। पुलिस अधीक्षक अजय यादव ने बताया कि नक्सलियों ने इन ग्रामीणों को जान से मारने की धमकी दी थी। 40 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में फैले बस्तर के मोहला गांव से अपना बोरिया बिस्तर समेटने...

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स्वस्थ पर्यावरण के लिए धरहरा की परंपरा का अनुकरण करें : नीतीश

भागलपुर। जहां चारो तरफ अंधाधुंध पेड़ों की कटाई हो रही है, वहीं धरहरा गांव में सामुदायिक प्रयत्‍‌न से पेड़ लगाए जा रहे हैं। यह ऐसा गांव है जहां लोग कन्या पैदा होने पर खुशी मनाते हैं और उनके नाम पर दस फलदार पेड़ लगाते हैं। स्वस्थ पर्यावरण के लिए धरहरा की परंपरा का अनुकरण पूरे सूबे के लोगों को करना चाहिए। यह बातें रविवार को नवगछिया अनुमंडल के धरहरा गांव में आयोजित सभा को संबोधित...

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सुबह के इस दौर में भी छूट रहीं बच्चियां

पटना [जागरण टीम]। सरकारी प्रयास शुरुआती दौर पर रंग तो ला चुके हैं, लेकिन मैट्रिक के बाद की पढ़ाई-लिखाई के हलके में राज्य की ज्यादातर बच्चियों के लिए अपना वजूद बनाए रख पाना आज भी बहुत मुश्किल हो रहा है। 21वीं शताब्दी के 10 साल गुजरने के बाद भी शैक्षणिक संस्थानों की कमी और बुनियादी सुविधाओं की किल्लत ने उन्हें मैट्रिक की बाद की पढ़ाई के मद्देनजर तकरीबन 30 साल पीछे ही छोड़ रखा है। ...

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