हमारे देश में दो तरह के लोग पाये जाते हैं. एक वे, जो खाते-खाते मर जाते हैं और दूसरे वे, जो खाये बिना मर जाते हैं. खाने की अमीरी और गरीबी की इसी खाई को पाटने की एक छोटी-सी कोशिश कर रही हैं एर्नाकुलम की मीनू पॉलिन. बैंक की नौकरी छोड़ कर दो साल पहले रेस्त्रां के व्यवसाय से जुड़ीं मीनू ने लोगों के सहयोग से भूखों को मुफ्त भोजन...
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गरीबों की कुर्की, अमीरों को ढील क्यों
बड़े कर्जदारों के मुद्दे पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने कहा कि अमीर लोग करोड़ों का कर्ज लेकर खुद को दिवालिया घोषित कर देते हैं , लेकिन बैंक उन पर कार्रवाई नहीं करते। वहीं,गरीब किसान अगर मामूली सा कर्ज न चुकाए तो उसकी संपत्ति जब्त कर ली जाती है। आरबीआई क्या कर रहा : मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर की...
More »हमारे धनकुबेर और टैक्स हेवन - मोहन गुरुस्वामी
हमारे देश के ऊंचे और रसूखदार लोगों का किया-धरा धीरे-धीरे अब सार्वजनिक जानकारी के दायरे में आता जा रहा है। पनामा पेपर्स का खुलासा इनमें सबसे ताजातरीन मामला है। इन खुलासों ने हड़कंप मचा दिया है कि भारत की कम से कम पांच सौ आलातरीन शख्सियतों की पनामा में फर्जी कंपनियां हैं, जिनका मकसद मनी लॉन्ड्रिंग या धन छिपाना था। इस खुलासे के बाद ज्यादा से ज्यादा यही कहा जा...
More »कैसे करते हैं ताक़तवर रईस धन की हेरा-फेरी
बड़े पैमाने पर लीक हुए गोपनीय दस्तावेजों से पता चला है कि अमीर और शक्तिशाली लोग किस तरह अपनी दौलत को छिपाने के लिए टैक्स चोरी करते हैं और उन तौर-तरीकों का इस्तेमाल करते हैं जिनसे उन्हें कम से कम टैक्स भरना होता है. दुनिया में सबसे ज़्यादा गोपनीयता से काम करने वाली कंपनियों में से एक पनामा की कंपनी मोसाक फोंसेका के एक करोड़ दस लाख गोपनीय दस्तावेज़ लीक हुए...
More »क्या गरीबी एक राजनीतिक पूंजी है? - विजय संघवी
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने हाल ही में कहा कि भारत में गरीबी कायम रखने में कांग्रेस का योगदान था, क्योंकि गरीबों को वे वोटबैंक की तरह मानते थे। शाह ने जो कहा, वह एक राजनीतिक आम धारणा भी है। लेकिन इस कथन की विस्तार से पड़ताल करने के लिए हमें इसके विभिन्न् परिप्रेक्ष्यों को ठीक से समझना होगा। जॉन राल्स्टन सॉल ने तीन तरह के छवि-निर्माताओं की तस्दीक की है।...
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