इन दिनों बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में प्रवेश को लेकर भागदौड़ मची हुई है. बारहवीं की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास करनेवाले बच्चे तक ऐसे परेशान घूम रहे हैं, जैसे दो-चार अंक कम लाकर उन्होंने कोई अपराध कर दिया हो. कई ऐसे भी बच्चे मिले जिनका यह दावा है कि उन्हें किसी एक विषय में जितने अंक मिलने चाहिए थे, वे नहीं मिले हैं, लेकिन स्नातक में प्रवेश की चिंता में वे...
More »SEARCH RESULT
बिना जमीन का आसमान-- अरविन्द कुमार सेन
इस बात का जोर-शोर से प्रचार किया जा रहा है कि युवाओं को अपने खुद के उद्यम (स्टार्ट-अप) खोलने चाहिए और सरकारी नीतियों का रुख अब स्टार्ट-अप की ओर ही रहेगा। क्या स्टार्ट-अप की राह पर चल कर हमारे देश में बड़े पैमाने पर व्याप्त बेरोजगारी की समस्या का समाधान किया जा सकता है? जवाब पाने के लिए इस मसले पर तफसील से निगाह डालनी होगी।मोटे अनुमान के मुताबिक आने...
More »उधार माफी से नहीं होगा उद्धार - प्रदीप सिंह
बीमारी पता हो और उसका इलाज भी, फिर भी बीमारी बनी रहे तो इसे क्या कहेंगे? अपने देश में किसानों और खेती-बाड़ी के साथ यही हो रहा है। बीते सात दशक से किसान को इंतजार है ऐसी सरकार का जो उसके मर्ज का इलाज करे, लक्षण का नहीं। समस्या इतनी-सी है कि किसान फसल उपजाने के लिए जितना खर्च करता है, उसे बेचकर वह उतना भी नहीं कमा पाता। सरकारों...
More »मीडिया समझे अपना दायित्व-- विश्वनाथ सचदेव
कुछ दिनों पहले भारत-पाक के बीच एक क्रिकेट मैच हुआ था. उस दिन जिसने भी टीवी देखा होगा, तो वह सबेरे से ही एक युद्धोन्माद का गवाह बना होगा. लगभग हर समाचार चैनल पर सबेरे से ही रथी-महारथी जुट गये थे. क्रिकेट की बात तो हो रही थी, पर उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण था वह नकली जोश, जो स्टूडियो में, और स्टूडियो से बाहर अलग-अलग लोकेशनों पर दिखाया जा रहा...
More »शिक्षा की परीक्षा-- जगमोहन सिंह राजपूत
देश की शिक्षा व्यवस्था की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि सरकारी शैक्षणिक संस्थानों की साख लगातार गिरती जा रही है। जिस प्रकार की घटनाएं सामने आ रही हैं वे बेहद चौंकाने वाली हैं। बिहार में 12वीं की परीक्षा में करीब 65 फीसदी विद्यार्थी फेल हो गये। क्यों फेल हो गए, क्योंकि वहां योग्य शिक्षकों का घोर अकाल हो गया है। संविदा शिक्षकों की...
More »