अकेले नहीं आता अकाल. पानी, प्रकृति और समाज के देशज चिंतक अनुपम मिश्र के लेख का यह शीर्षक अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है. कुदरत सूखा देती है, अकाल नहीं. हर चौथे-पांचवें साल हमारे देश में बारिश की कमी होती है. लेकिन जरूरी नहीं कि इससे अन्न की कमी हो, पीने के पानी का संकट हो, इंसानों और मवेशियों की जान पर बन आये, खेती-किसानी से जुड़े हर...
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सूखे से निपटने के लिए राज्य सरकार की अब तक प्लानिंग नहीं
भोलाराम सिन्हा, रायपुर। छत्तीसगढ़ में अल्पवर्षा व अवर्षा के कारण सूखे की स्थिति निर्मित हो रही है। राज्य सरकार ने प्रदेश की 150 में से 93 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित करने का भी निर्णय ले लिया है। अब इन सूखाग्रस्त इलाकों में पेयजल, रोजगार, जीवनरक्षक दवाइयां, पशुचारा, पशु टीकाकरण, पोषण आहार, खाद्य सुरक्षा, कृषि अनुदान, खरीफ व रबी फसलों को बचाने की चुनौती है। सूखे की स्थिति से निपटने के...
More »मानसून: 18 फीसदी कम बारिश की आशंका, दालों और खाद्य तेलों का बढ़ेगा इंपोर्ट
नई दिल्ली। देश में इस साल सामान्य के मुकाबले 18 फीसदी बारिश का अनुमान है। इसका असर दलहन, तिलहन सहित खरीफ फसलों पर देखने को मिल सकता है। यही वजह है कि इस साल दालों और खाद्य तेलों के इंपोर्ट में खासी बढ़ोत्तरी की आशंकाएं पैदा हो गई हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक 2015-16 में देश में दालों का इंपोर्ट 15 लाख टन और खाद्य तेलों का इंपोर्ट 20 लाख टन...
More »115 साल में चौथे सबसे बड़े सूखे के हालात, भड़क सकती है महंगाई
नई दिल्ली। देश में लगातार दूसरे साल सूखे के हालात बन रहे हैं। ऐसा भारत के 115 साल के इतिहास में चौथी बार होने जा रहा है। इससे आम आदमी से लेकर सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 2014 के पूरे मानसून सीजन (जून-सितंबर) के दौरान देशभर में सामान्य के मुकाबले 88 फीसदी औसत बारिश हुई थी। वहीं, इस साल 1 जून से 4 सितंबर तक 645.7 मिलीमीटर औसत बारिश...
More »जलाशयों में 16% घटा पानी, किसानों की बढ़ी परेशानी
नई दिल्ली। कमजोर मानसून के कारण देश के प्रमुख 91 जलाशयों में पानी की स्तर औसत से 16 फीसदी नीचे आ गया है। वहीं आने वाले दिनों में जलाशयों में पानी का स्तर और गिर सकता है। ऐसे में कमजोर मानसून की मार झेल रहे किसानों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। दरअसल खत्म होने के बाद किसान सिंचाई के लिए जलाशयों पर निर्भर रहते हैं। मध्य और उत्तरी भारत...
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