भारत में तकरीबन साढ़े सात करोड़ परिवार ऐसे हैं, जिनके घरों��� में बिजली नहीं है। बिजली के उत्पादन के लिए हम कोयले का आयात करते हैं। हम पूरे देश में बिजली का पारेषण करते हैं, जिसमें समग्र तकनीकी और वाणिज्यिक हानि के तौर पर 25 फीसदी बिजली का नुकसान उठाना पड़ता है। जहां तक बिजली के दाम के सवाल है, तो यह जिन दामों पर बेची जाती है, वे बाजार...
More »SEARCH RESULT
साक्षर भारत कार्यक्रम अब सिर्फ अक्षर ज्ञान तक सीमित नहीं- मदन जैड़ा
स्कूल नहीं जा पाने वाले किशोरों और पढ़ाई की उम्र पार कर चुके अन्य लोगों को साक्षर बनाने के लिए शुरू किए गए साक्षर भारत कार्यक्रम का रूप बदल गया है। अब यह सिर्फ अक्षर ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि एक व्यापक शिक्षा कार्यक्रम में तब्दील हो चुका है। इस कार्यक्रम में चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी साक्षरता, विधिक साक्षरता, डिजिटल साक्षरता के बाद अब वित्तीय साक्षरता का विषय भी...
More »आईडी के बिना यूआईडी नहीं का घनचक्कर
अगर आपके पास पहले से ही दो पहचान-पत्र नहीं है तो बहुत संभव है कि आपको अपना तीसरा पहचान पत्र यानी आधार-नंबर भी ना मिले। आरटीआई की एक अर्जी के जवाब से खुलासा हुआ है कि बिना पहचान-पत्र वाले केवल 2 लाख 19 हजार लोगों को आधार नंबर दिया गया है जो जारी किए गए कुल आधार नंबर का केवल 0.03% है। (आरटीआई अर्जी के जवाब के लिए देखें नीचे दी गई...
More »मोदी सरकार के 1 साल( विशेष आलेख, आलेख प्रभात खबर)
पिछले आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी का एक प्रमुख नारा था- ‘सबका साथ-सबका विकास'. अपने इस वादे पर अमल करते हुए सरकार ने पिछले एक साल में आम आदमी की समृद्धि और उन्हें आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से कई नयी योजनाएं शुरू कीं. कुछ पिछली योजनाओं में भी तब्दीली करते हुए उन्हें नये नाम और प्रारूप में शुरू किया गया. जन-धन, बीमा और पेंशन आदि से जुड़ी...
More »वायदे पूरे होने का इंतजार- जगदीप छोकर
प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव से पहले भ्रष्टाचार, गवर्नेंस, काला धन इत्यादि मुद्दों पर कदम उठाने के तमाम वायदे किए थे। अब उनकी सरकार के एक साल पूरे होने के मौके पर यह सही अवसर है, जब कुछ खास मुद्दों पर उनके कामकाज का विश्लेषण किया जाए। सबसे पहले चुनाव सुधार की बात। सूचना के अधिकार और चुनाव सुधार का गहरा रिश्ता है। दरअसल, जब तक मतदाताओं के सामने सभी राजनीतिक...
More »