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गरीबी का वायरस और चमकी बुखार- विनोद बंधु

बिहार के तिरहुत प्रमंडल में पांच साल बाद एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) यानी चमकी बुखार का प्रेत फिर से जाग उठा है। बीते एक पखवाडे़ में इससे सवा सौ से अधिक बच्चों की सांसें थम चुकी हैं। करीब चार सौ बच्चे अस्पतालों में भर्ती कराए गए। मरीजों का आना अब भी जारी है। हर रोज बच्चों की जान जा रही है। इस इलाके के बच्चों और उनके अभिभावकों की आस...

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बिहार: मुज़फ़्फ़रपुर में दिमागी बुखार सहित अज्ञात बीमारी से अब तक 84 बच्चों की मौत

पटना/मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में रविवार की सुबह संदिग्ध रूप से दिमागी बुखार के कारण एक और बच्चे की मौत हो गई, जिसके साथ ही, जिले में इस महीने जान गंवाने वाले बच्चों की संख्या 84 हो गई. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रत्येक मृतक के परिजन को चार-चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि कुमार ने...

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परीक्षा के अंक नहीं हैं जिंदगी का पैमाना- आशुतोष चतुर्वेदी

हाल में बिहार, झारखंड, सीबीएसइ और आइसीएससी बोर्ड के नतीजे आये हैं. साथ ही कई बच्चों के आत्महत्या करने की दुखद खबरें भी आयीं. ऐसी खबरें इसी साल आयीं हों, ऐसा नहीं हैं. ये खबरें साल-दर-साल आ रही हैं. दुर्भाग्य यह है कि अब ऐसी खबरें हमें ज्यादा विचलित नहीं करती हैं. कुछ दिन चर्चा होकर बात खत्म हो जाती है. गंभीर होती जा रही इस समस्या का कोई...

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मध्य प्रदेश: दलित युवक की हिरासत में मौत, थाना प्रभारी समेत पांच पुलिसकर्मी निलंबित

इंदौर: चोरी की शंका में पूछताछ के लिए मध्य प्रदेश में इंदौर शहर के एक पुलिस थाने में लाए गए 22 वर्षीय युवक की संदिग्ध हालात में मौत के मामले में थाना प्रभारी समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है. इस दलित युवक के परिजनों ने पुलिस की क्रूरतापूर्ण पिटाई से उसकी मौत हो जाने का आरोप लगाया है. पुलिस अधीक्षक (पश्चिमी क्षेत्र) सूरज वर्मा ने बुधवार को बताया...

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आंबेडकर को जितना अस्वीकार वर्तमान राजनीति ने किया है, उतना किसी और ने नहीं किया

हमारे समय के सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों ने बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की प्रासंगिकता बढ़ा दी है. इधर हाल के कुछ वर्षों में डॉक्टर आंबेडकर को पढ़ने और समझने की चेतना विकसित हुई है. अब उन्हें कोई अनदेखा नहीं कर सकता है. भाजपा हो, कांग्रेस हो या मार्क्सवादी पार्टियां- डॉक्टर आंबेडकर के बिना वे चुनावी वैतरणी नहीं पार कर सकती हैं. लेकिन क्या डॉक्टर आंबेडकर को केवल चुनाव जीतने के लिए...

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