नई दिल्ली। अपने देश के जिस मध्यवर्ग को केंद्र में रखकर देसी-विदेशी कंपनियां अपने माल की बिक्री की रणनीति बनाती आई हैं, उसका अस्तित्व ही नहीं है। जिस मध्यवर्ग को राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जाता है और जो बड़े-बड़े बदलावों का माध्यम बनता रहा है, उसे अपने देश में ढूंढ़ना बेकार है। भारत जैसे विकासशील देशों में मध्यवर्ग के लिए गढ़ी गई नई अंतरराष्ट्रीय परिभाषा के आधार पर यह...
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हमारा बीपीएल और उनका आईपीएल- देविंदर शर्मा
2009 में जब विश्व आर्थिक मंदी की आग में जल रहा था और इसकी तपिश भारत में भी महसूस की जा रही थी, तब भारत ने तीन किस्तों में करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया था. हम सरकारी अनुदान हड़पने में किसानों और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को दोषी ठहराते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि उद्योग और व्यवसाय जगत इनसे कई...
More »अगले साल तैयार होगा वैश्विक समझौता
केपटाउन. बेसिक समूह ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन ने इच्छा जताई है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए 2011 तक कानूनी तौर पर बाध्यकारी एक वैश्विक समझौता तैयार हो जाना चाहिए। समूह ने इस बात पर भी जोर दिया है कि अमरीका इस मुद्दे पर अपने समझौते को अंतिम रूप दे,इसके लिए विश्व अंतहीन समय तक इंतजार नहीं कर सकता। समूह के नेताओं की रविवार को तीसरी बैठक हुई। बैठक...
More »किसानों व कारपोरेट सेक्टर का गठजोड़ जरूरी
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने गांवों के विकास के लिए किसानों और कारपोरेट सेक्टर के गठजोड़ पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ही खाद्य प्रसंस्करण और कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना से कंपनियों और किसानों दोनों को लाभ होगा। वह योजना आयोग के एक समारोह में बोल रही थीं। राष्ट्रपति ने कहा कि ग्लोबल मंदी के बावजूद भारत के कम प्रभावित होने की वजह उसकी ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था रही है,...
More »अनाज की महंगाई से निपटें
यह काफी महत्वपूर्ण बात है कि देश की सबसे बड़ी चीनी रिफाइनर और एथनॉल उत्पादक कंपनी श्री रेणुका शुगर्स ने दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक और निर्यातक देश ब्राजील की कंपनी वीडीआई...
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