विमलेश मिश्र, जमशेदपुर : ये दूसरों की गंदगी साफ करते, मगर खुद नारकीय जीवन जी रहे हैं। गंदगी साफ करते-करते चर्म, टीबी व कुष्ठ जैसे असाध्य रोग इन्हें घेर लेते हैं। अनुसूचित जाति के हैं, मगर सुविधा कुछ को ही। पहले सफाई के लिए सरकार या कंपनी से नौकरी मिल जाती थी, अब ठेकेदार से मिलने वाली मजदूरी पर जीवन टिका है। संसद ने कानून बना सिर पर मैला ढोने...
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आपके मन पर असर या बे असर?- योगेन्द्र यादव
अब आपने इन पंक्ितयों को पढ़ने की जहमत उठाई है तो एक तकलीफ़ और कीजिये. अपने घर या पड़ोस से दूसरी से पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को बुलाइये. उनसे कहिये कि वे निम्नलिखित पैरा को पढ़ कर सुनाएं. यह पैरा दूसरी कक्षा की पाठय़पुस्तक से लिया गया है. ’मैं और मेरी बहन रीता छत पर खेल रहे थे. अचानक असमान में बादल गरजने लगे. बिजली कड़कने लगी. बारिश की...
More »बिना पैसा दिए ही खर्च कर डाली 30 करोड़ की बिजली
फरीदाबाद. बिजली निगम डाल-डाल तो चोर पात-पात हैं। हर साल बिजली चोरी पर अंकुश लगाने की योजनाएं बनती हैं। लेकिन जमीन पर वह दम तोड़ जाती हैं। लगातार घाटे में चल रहा बिजली निगम बकायादारों की बढ़ती तादाद से आजिज आ गया है। अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि हर साल करोड़ों रुपए की बिजली चोरी हो जाती है। लोग बिजली प्रयोग करते हैं लेकिन पैसा नहीं देते। आंकड़ों...
More »क्या सोचा क्या पाया
जिन सपनों को लेकर एक दशक पहले उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उनमें से कितने सपने आंखों से उतरकर जमीन पर चल पाए हैं? नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य दस साल का हो गया. दस साल की उम्र किसी राज्य का भविष्य तय करने के लिए काफी नहीं होती, पर ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’ वाली कहावत के हिसाब से देखा जाए तो उस भविष्य का अंदाजा लगाने के...
More »जैविक का व्यापार, एनजीओ और सरकार --- योगेश दीवान
कितना आश्चर्यजनक है कि अचानक मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री पानी बाबा की तर्ज पर ''जैविक बाबा'' हो जाते हैं और मुख्यमंत्री जैविक प्रदेश घोषित करने के लिये धन्यवाद के पात्र. ये वही मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री हैं, जो कुछ दिन पहले तक और अभी भी प्रदेश की खेतिहर जमीन को बड़ी ही सामंती उदारता से बड़ी-बड़ी कंपनियों को बांटते हुए फोटो खिंचा रहे थे. इसे परंपरागत जैविक के एकदम खिलाफ...
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