वैज्ञानिकों में भ्रम है कि हम उन्नत तकनीक की बात कर रहे हैं, तो पूर्व की परिस्थिति में ही सिर्फ निचली व मध्यम भूमि की उपयोगिता से काम चल जायेगा. लेकिन नयी परिस्थितियों में ऊपरी भूमि का उपयोग बढ़ाना जरूरी है. वहां ऐसी फसलें लगाने की जरूरत है जो कम पानी में और जल्दी तैयार हो जायें. जैसे मकई, मडुवा व 100 दिनों में तैयार होने वाला धान. मध्यम व निचली...
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कमजोर मानसून की कीमत चुकाती खेती- सुरुचि भड़वाल
अपने देश में मानसून की शुरुआत पश्चिमी और उत्तरी समुद्री तट से जून के महीने में होती है, फिर बारिश धीरे-धीरे देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचती है। यह पूरी प्रक्रिया चार महीनों की होती है, और इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में 80 फीसदी से अधिक बारिश होती है। लेकिन चूंकि सभी जगह कम दबाव का क्षेत्र एक समान नहीं बनता, इसलिए सब जगह बारिश भी एक जैसी नहीं...
More »मप्र बजट: किसानों का आधा बिजली बिल भरेगी सरकार
भोपाल। वित्त मंत्री जयंत मलैया ने मंगलवार को विधानसभा में बजट पेश करते समय कृषि को ज्यादा फोकस किया। कम बारिश की भविष्यवाणी के बीच किसानों के लिए यह बजट राहत लेकर आया। मंत्री मलैया द्वारा कृषि बिजली बिल का 50 फीसदी सरकार द्वारा देने की घोषणा की है। इससे कम बारिश में भी किसानों को पंप चलाकर खेत सींचने में कोई परेशानी नहीं होगी। इसके साथ ही प्रदेश के...
More »प्याज के दाम दोगुने, सरकार की चिंता बढ़ी
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी लसलगांव में प्याज के दाम पिछले दो हफ्ते में 40 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 18.50 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। इसका असर देश के अन्य शहरों पर साफ दिखाई देने लगा है, जिसने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। दाम बढ़ने से रोकने के लिए प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय किए जाने का भी असर नहीं दिखाई...
More »मौसम की अटकलों से बढ़ती दुविधा - प्रमोद भार्गव
बरसात से पूर्व मौसम विभाग द्वारा मानसून की भविष्यवाणियों में फेरबदल चिंता का सबब बन रहा है। मई की शुरुआत में सामान्य से पांच फीसद कम बारिश की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन 9 जून को औसत से सात प्रतिशत कम वर्षा का अंदेशा जताया गया। यानी आज भी हमारा मौसम विभाग सटीक भविष्यवाणी करने की स्थिति में नहीं है। इस पर चिंतित होना इसलिए लाजिमी है, क्योंकि पिछले कुछ...
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