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एजेंसियों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, एसआईटी को कालेधन पर पांच जांच रिपोर्ट सौंपी

उच्चतम न्यायालय को बताया गया कि पनामा दस्तावेज लीक में कथित तौर पर विदेशों में बैंक खाते रखने वाले जिन भारतीयों के नाम सामने आए थे उनसे संबंधित पांच जांच रिपोर्ट विशेष जांच दल (एसआईटी) के समक्ष पेश की जा चुकी हैं। ये रिपोर्टें सीबीडीटी, रिजर्व बैंक, वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) और प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को मिलाकर बनाई गई बहु-एजेंसी समूह (मैग) ने तैयार की हैं। उच्चतम न्यायालय के...

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एमपी -- डेंगू को लेकर हाई अलर्ट, लेकिन 22 जिलों में सरकारी जांच के इंतजाम नहीं

भोपाल। शशिकांत तिवारी। रायसेन के प्रकाश वंशकार (20) को 20 दिन से बुखार आ रहा था। दवा लेने के बाद भी बुखार कम नहीं हुआ। खून की जांच में भी कुछ पता नहीं लगा। तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी तो एम्स भोपाल में जांच कराई जहां प्रकाश को डेंगू की पुष्टि हुई। हालांकि प्रकाश अब ठीक है लेकिन महीने भर से ज्यादा समय तक बुखार रहने से उसकी हालत काफी खराब...

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डेंगू पर निर्देशों का पालन नहीं होने पर लगेगा जुर्माना: एनजीटी

नई दिल्ली। राजधानी में दो माह से जारी डेंगू व चिकनगुनिया के प्रकोप पर दिल्ली सरकार द्वारा स्टेटस रिपोर्ट दायर न करने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नाराजगी जताई है। एनजीटी के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार की पीठ ने स्पष्ट कहा कि सभी सिविक एजेंसियां 21 सितंबर को उनके द्वारा जारी निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें अन्यथा प्रत्येक सरकारी विभाग पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने की...

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कचरे से जूझते हमारे शहर-- फिरोज वरुण गांधी

हमारे शहर संक्रामक रोगों के कब्जे में हैं। राजधानी दिल्ली तक इनसे नहीं बची है। डेंगू, चिकनगुनिया, बर्ड फ्लू, टायफायड, स्वाइन फ्लू जैसे तमाम रोग तेजी से फैल रहे हैं। मैं खुद पिछले दो वर्षों में चिकनगुनिया व स्वाइन फ्लू का शिकार बन चुका हूं। इन बीमारियों का फैलना कोई नई प्रवृत्ति भी नहीं है। 23 सितंबर, 1994 का दिन याद कीजिए। उस दिन सूरत के कई हिस्सों में न्यूमोनिक प्लेग...

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जीडीपी बनाम भूख सूचकांक-- धर्मेन्द्रपाल सिंह

ताजा विश्व भूख सूचकांक या ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआइ) के अनुसार भारत की स्थिति अपने पड़ोसी मुल्क नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन से बदतर है। यह सूचकांक हर साल अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आइएफपीआरआइ) जारी करता है, जिससे दुनिया के विभिन्न देशों में भूख और कुपोषण की स्थिति का अंदाजा लगता है। आज केवल इक्कीस देशों में हालात हमसे बुरे हैं। विकासशील देशों की बात जाने दें, हमारे देश...

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