चलते-चलते एक लेख में इस पुस्तक की चरचा की थी. आज के माहौल में इसे हर भारतीय को पढ़ना चाहिए. वह सच, जानने के लिए, जो लोगों से छुपाया जाता है. वह पद्धति-प्रक्रिया समझने के लिए, जिसके तहत भारत से पैसे-पूंजी बेधड़क स्विस या विदेशी बैंकों या टैक्स हेवेन (कर चोरी के लिए स्वर्ग या नितांत सुरक्षित) में जा रहे हैं. इसमें कौन लोग हैं? मीडिया का असली चेहरा भी...
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आधी आबादी का सवाल
नई सदी में आर्थिक विकास की सबसे आकर्षक कहानी होने के भारत के रिकॉर्ड पर एक बदनुमा दाग अपने समाज में महिलाओं की हालत है। हर अध्ययन हमारा ध्यान इस चिंताजनक सूरत की तरफ खींचता है और इस कड़ी में सबसे ताजा सर्वे थॉमसन रॉयटर फाउंडेशन का है, जिसमें महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक जगहों की सूची में भारत को चौथे नंबर पर रखा गया है। इस सूची में भारत के...
More »जीने के लिए जूझते महात्मा फुले के परिजन
पुणे. देश में छात्राओं के लिए पहला स्कूल शुरू करने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले को सरकार और समाज के साथ जो संघर्ष उस समय करना पड़ा कमोवेश वैसा ही संघर्ष आज उनके परिजनों को करना पड़ रहा है। अंतर सिर्फ इतना कि तब उन्होंने समाज को नई राह दिखाने के लिए किया था और उनके परिजन बेहतर जिंदगी के लिए कर रहे हैं। महात्मा फुले के पड़ पोते दत्तात्रेय होले की बहू...
More »भाजपा व संघ से मेरे रिश्तों का सुबूत दे कांग्रेस
नई दिल्ली। खुद को भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ [आरएसएस] का मुखौटा बताए जाने के व्यथित अन्ना हजारे ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कहा है कि कांग्रेस के नेता और मंत्री उन्हें बदनाम करने के लिए झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनके खिलाफ भाजपा और संघ से साठगांठ का कोई सुबूत हो तो उसे सामने लाया जाए। प्रस्तुत है सोनिया गांधी को अन्ना...
More »बदल रहे हैं, गांव, देहात और जंगल- हरिवंश
फ़रवरी 2008 में चतरा के नक्सल दृष्टि से सुपर सेंसिटिव गांवों में जाना हुआ. साथ के मित्रों के भय और आशंका के बीच, देर शाम तक घूमना हुआ. सूनी सड़कों पर मरघट की खामोशी के बीच. तब तक लिखा यह अनुभव भी छपा नहीं. पाठक पढ़ते समय ध्यान रखें यह फ़रवरी 2008 में लिखी गयी रपट है. कभी डालटनगंज-चतरा के इन इलाकों में खूब घूमना हुआ. समाजवादी चिंतक, अब बौद्ध अध्येता व...
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