“कहा जाता है कि हम लोग दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं क्योंकि देश में बड़े पैमाने पर चुनाव होता है। लेकिन लोकतंत्र का मतलब चुनाव नहीं होता, लोकतंत्र का मतलब होता है देश के फैसलों में जनता की भागीदारी और इस कसौटी पर देखें तो अपने देश में लोकतंत्र नहीं है-‘’सीधे ,सपाट और किसी आंदोलनकारी के मुंह से निकलने का आभास देते शब्द। लेकिन ये शब्द जस्टिस सुप्रीम कोर्ट...
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‘मेरे पास कोई बटन नहीं है जिसे दबाकर चीजें तुरंत बदल दूं’- नीतीश कुमार
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन लगता नहीं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस चुनौती की ज्यादा फिक्र है. विजय सिम्हा से बातचीत में नीतीश बता रहे हैं कि उनकी सरकार तीन सबसे प्रमुख मुद्दों- निवेश, शिक्षा और भूख पर कैसे आगे बढ़ने वाली है और क्यों उन्हें इस मामले में केंद्र से मदद मिलने की उम्मीद नहीं है. (तहलका हिन्दी से साभार) बिहार में भूख अभी भी एक समस्या है, लेकिन इसे...
More »भूख है तो सब्र कर
इलाहाबाद। शुरुआत करते हैं दुष्यंत कुमार के एक शेर से-न हो कमीज तो पांव से पेट ढक लेंगे, ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए। दरअसल इस शेर की याद इसलिए आई कि राज्य के मानवाधिकार आयोग ने एक ऐसे मामले का संज्ञान लिया है जो दुखद तो है ही साथ ही शर्मसार कर देने वाला भी है। इलाहाबाद के एक गाव में भूख मिटाने के लिए बच्चे मिट्टी खाने को...
More »सरदार सरोवर का सबक
यह सच है कि सरदार सरोवर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है, जो 800 मीटर नदी में बनी अहम परियोजना है। सरकार कहती है कि वह इससे पर्याप्त पानी और बिजली मुहैया कराएगी। मगर सवाल है कि भारी समय और धन की बर्बादी के बाद वह अब तक कुल कितना पानी और कितनी बिजली पैदा कर सकी है और क्या जिन शर्तों के आधार पर बांध को मंजूरी दी गई थी वह शर्तें...
More »दिन के 6 घंटे खप जाते हैं पानी लाने में
सासाराम [ब्रजेश कुमार]। बिहार के रोहतास जिले के कैमूर पहाड़ी क्षेत्र में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था आसमान से तारे तोड़ने जैसी है। उग्रवाद प्रभावित इस क्षेत्र में महिलायें 5 से 15 किलोमीटर दूर पानी लाने जाती हैं। सुबह घर से निकली महिलाएं शाम को वापस लौट पातीं हैं। दशकों से जारी जल संकट के कारण लोगों की जीवन शैली बदल गई है। जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन के आश्वासनों के बीच समस्या बरकरार है। उग्रवाद प्रभावित रोहतास...
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