साल 1990 की बात है. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के प्रमुख सचिव रहे बीजी देशमुख ने प्रधानमंत्री से पूछा था कि क्या वह सेवानिवृत्ति के बाद एक बड़ी निजी कंपनी में नौकरी कर सकते हैं- उन्होंने दशकों सरकारी नौकरी की थी और चाहते थे कि इजाजत मिल जाये, तो अब बाहर निकलकर कॉरपोरेट भूमिका निभाएं. दरअसल, हितों के टकराव के मुद्दे को स्वाभाविक रूप से भ्रष्टाचार से जोड़कर देखा जाना चाहिए....
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बिहार : प्रधानमंत्री आवास योजना पर लगा ग्रहण, आसमान के नीचे रह रहे लाभार्थी
बिक्रम : केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री आवास योजना 17 जून 2015 को पूरे देश में लागू हुआ था, जिसमें सभी बेघर लोगों को 31 मार्च 2022 तक आवास योजना का लाभ देना है. इसमें लाभार्थी को प्रथम किस्त 50,000, द्वितीय किस्त एक लाख और तृतीय किस्त 50,000 में दो बेड रूम, किचेन व टॉयलट का निर्माण कराना था, लेकिन इस ड्रीम प्रोजेक्ट पैसे के अभाव में ग्रहण...
More »राजनीतिक शक्ति बनें किसान-- राजकुमार सिंह
अगर किसी कृषि प्रधान देश में कृषि और किसान ही संकट में आ जायें तो देश की दशा-दिशा का अंदाजा लगा पाना मुश्किल नहीं होना चाहिए। भारत एक कृषि प्रधान देश है, यह बात दशकों से पाठ्य पुस्तकों में पढ़ायी जाती रही है, क्योंकि लगभग 80 प्रतिशत तक आबादी जीवनयापन के लिए कृषि और उससे जुड़े काम-धंधों पर निर्भर रही है। इसलिए ग्रामीण भारत को ही असली भारत भी कहा...
More »सत्य, उत्तर-सत्य और पुन: सत्य--- पी. चिदंबरम
विलंब से शुरू हुआ संसद का सत्र जैसे ही समापन के करीब पहुंचा, वित्तमंत्री ने खुद को एक अजीब स्थिति में पाया। राज्यसभा ने 4 जनवरी, 2018 को अर्थव्यवस्था की हालत पर अल्पावधि चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया था और अपेक्षा थी कि वित्तमंत्री चर्चा का जवाब देंगे। बजट से सत्ताईस दिन पहले यह विचित्र था कि वित्तमंत्री अर्थव्यवस्था की स्थिति पर विस्तार से बोलें या कोई आश्वासन दें। अर्थव्यवस्था...
More »जीने का अधिकार और पानी का प्रश्न-- रमेश सर्राफ धमोरा
जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मनुष्य चांद से लेकर मंगल तक की सतह पर पानी तलाशने की कवायद में लगा है, ताकि वहां जीवन की संभावना तलाशी जा सके। पानी की महत्ता को हमारे पूर्वज भी अच्छी तरह जानते थे। जीवन के लिए इसकी आवश्यकता और उपयोगिता का हमारी तमाम प्राचीन पुस्तकों व धार्मिक कृतियों में व्यापक उल्लेख मिलता है। जल न हो तो...
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