ज्यूरिख/नयी दिल्ली: स्विट्जरलैंड के बैंकों में रखे धन के मामले में भारत फिसलकर 88वें स्थान पर आ गया है. वहीं, ब्रिटेन पहले पायदान पर बना हुआ है. स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के ताजा आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, भारतीयों द्वारा रखा गया धन विदेशी ग्राहकों के स्विस बैंकों में रखे कोष का केवल 0.04 फीसदी है. भारत 2015 में 75वें स्थान पर जबकि इससे पूर्व वर्ष में यह 61वें स्थान...
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मरती हुई झीलों को मिल रही जिंदगी--
ऐसे कई उदाहरण हैं, जब एक अकेले इनसान ने अपनी कोशिशों से अपने आसपास के सूरत-ए-हाल को बदल डाला है. आज की स्टोरी में हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति के काम के बारे में बता रहे हैं, जिसने अपने अथक प्रयास से झीलों को पुनर्जीवन दे दिया. क्या हम सिर्फ अपने लिए जवाबदेह हैं, या अपने परिवार के लिए या अपने समुदाय के लिए? तो फिर धरती, पहाड़ों, नदियों...
More »नोटबंदी: सिर्फ दो महीनों में देश से 12 लाख करोड़ रुपए ले गए NRI!
एक तरफ सरकार का दावा है कि विदेशों में मौजूद भारतीय देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में बेहद मददगार साबित हो रहे हैं। हालांकि आंकड़ों पर नज़र डालें तो स्थिति उलटी ही नज़र आ रही है। बीते साल के अक्टूबर-नवंबर महीनों में प्रवासी भारतीय (NRI) ने देश से 17 अरब डॉलर करीब 12 लाख करोड़ रुपए की बड़ी रकम यहां से वापस ले गए हैं। बता दें कि इसी...
More »आज तो आजिज हैं सब गरीब! - मृण्ााल पांडे
दु:ख, असहायता और राज-समाज के उत्पीड़न से भारतीय गरीबों का इतनी सदियों से रिश्ता रहा है कि वे अक्सर उसे खामोशी से सहते रहते हैं। पर हमारे यहां जनता की अनसुनी मूक व्यथा को स्वर देने वाले जनकवियों की वाल्मीकि से लेकर बाबा नागार्जुन तक एक लंबी परंपरा भी है, जिसमें नज़ीर अकबराबादी भी आते हैं। मध्यकाल में जब दिल्ली की बादशाहत उजड़ रही थी और जनता जाट, रुहेले, मराठा...
More »विद्रूप का शिक्षाशास्त्र-- शचीन्द्र आर्य
हम जिस दौर से गुजर रहे हैं, उसकी पहचान करने वाले कौन-कौन से औजार हमारे पास हैं! हमें एक बार फिर उन्हें दुरुस्त कर लेना होगा। हमें पता होना चाहिए कि हमारे साथ क्या हो रहा है! जो हो रहा है, वह इस पृथ्वी के किसी खास भौगोलिक खंड में एक नाम से पुकारे जाने वाले सामाजिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक निर्मिति के भीतर निर्मित होते एक देश में कैसे उसी आकार...
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