-बीबीसी, मानवीय गतिविधियों और क्रिया-कलापों के कारण दुनिया का तापमान बढ़ रहा है और इससे जलवायु में होता जा रहा परिवर्तन अब मानव जीवन के हर पहलू के लिए ख़तरा बन चुका है. अगर इस पर ग़ौर नहीं किया गया और इसे यूं ही छोड़ दिया गया तो आने वाले समय में तापमान इस क़दर बढ़ जाएगा कि मानव जीवन पर संकट आ सकता है, भयावह सूखा पड़ सकता है, समुद्री जल...
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आईईए रिपोर्ट की चेतावनी, जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए स्वच्छ ऊर्जा निवेश करने में दुनिया बहुत पीछे
-न्यूजक्लिक, IEA (इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी) ने 13 अक्टूबर को प्रकाशित अपने 'वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक' 2021 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में इस महीने के अंत में होने वाली संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) की बैठक से पहले एक चेतावनी संदेश प्रकाशित किया है। इसमें कहा गया है कि वैश्विक उत्सर्जन को शुद्ध-शून्य स्तर प्राप्त करने के लिए निरंतर गिरावट में डालने के लिए दुनिया बहुत पीछे है। आईईए ने अपनी रिपोर्ट में...
More »भारतीय अर्थव्यवस्था में त्योहारों के उत्साह का माहौल है, उम्मीद है यह कायम रहेगा
-द प्रिंट, ये त्योहारों के दिन हैं और शेयर बाज़ार की तेजी बाकी अर्थव्यवस्था के लिए नयी खबर लेकर आई है, या कह सकते हैं कि इसके विपरीत भी हो रहा है. निर्यात में उछाल बनी हुआ है, टैक्स से आमदनी में भी वृद्धि हो रही है, औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े आशा जगा रहे हैं, मुद्रास्फीति में गिरावट आ रही है, बैंकों में खराब कर्जों की तादाद घट रही है, कॉर्पोरेट...
More »कोविड महामारी ने पहले से हाशिये पर पड़े एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय की पीड़ा को और बढ़ाया है
-द वायर, अभिजीत केरल के तिरुवनंतपुरम में बतौर रेडियो जॉकी काम कर रहे थे जब बीते वर्ष मार्च में कोविड-19 महामारी ने भारत में दस्तक दी थी, जिसने सरकार को देशव्यापी लॉकडाउन लगाने के लिए प्रेरित किया था. लॉकडाउन के चलते अभिजीत अपने घर ग्रामीण पत्तनमतिट्टा जिला लौट आए, जहां उनके माता-पिता एक संयुक्त परिवार में दादा-दादी, चाचा और चचेरे भाइयों के साथ रहते हैं. होमोफोबिक रिश्तेदार और चचेरे भाई-बहनों के साथ...
More »क्या हम भारतीय कृषि क्षेत्र में घटती किसानी आमदन के साक्षी हैं?
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित 'ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019', हाल ही में जारी स्थिति आकलन सर्वेक्षण इस तथ्य को स्थापित करता है कि किसान परिवार अपनी आजीविका के लिए 'खेती-बाड़ी से शुद्ध आय' के बजाय मजदूरी पर अधिक से अधिक निर्भर हैं. मार्क्सवादी शब्दावली में, सर्वहाराकरण (एक शब्द जिसे हम निर्वासन के लिए शिथिल रूप से उपयोग कर सकते हैं) उस प्रक्रिया...
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