रांची. सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट (2013-14) में कहा गया है कि झारखंड में वर्तमान रफ्तार से भूगर्भ जल का दोहन होता रहा, तो भविष्य में पानी मिलना मुश्किल हो जायेगा़ अगले एक दशक में रांची में भूगर्भ जल खत्म हो जायेगा. राज्य में हर साल औसतन 1400 मिमी बारिश होती है, पर जलस्तर औसतन छह फुट कम हो रहा है. 80% जल बेकार बह रहा है. बोर्ड...
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मिलावटी दूध की बहती गंगा - भवदीप कांग
शुरुआत इसी विरोधाभासी तथ्य से करें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है! पिछले पंद्रह वर्षों में भारत में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई है। अब यह 322 ग्राम प्रतिदिन है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब भारत में दूध की मांग व आपूर्ति का तंत्र अच्छी तरह विकसित हो चुका है तो हम मिलावटी दूध पीने को मजबूर क्यों हैं?...
More »2030 तक होगा मलेरिया का अंत!
वर्षों से जारी प्रयासों और व्यापक खर्चों के बावजूद मलेरिया की वैश्विक चुनौती कायम है. इससे निबटने के लिए भारत समेत कई देशों में वैक्सीन का विकास करने समेत कई वैज्ञानिक उपाय तलाशे जा रहे हैं. वैश्विक स्तर पर हाल में इस दिशा में तीन आरंभिक उपलब्धियां हासिल हुई हैं. देश-दुनिया में मलेरिया की मौजूदा स्थिति, इससे निपटने के प्रयासों में हासिल हालिया उपलब्धियों सहित इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों के...
More »दिशा तो सही लेकिन कुछ जरूरी बातों की अनदेखी - डॉ. भरत झुनझुनवाला
बजट में कई अच्छी घोषणाएं की गई हैं जैसे ग्रामीण विद्युतीकरण एवं सड़कों में निवेश में वृद्धि, गरीबों को गैस सिलेंडर उपलब्ध कराना, जिले स्तर पर डायलिसिस की व्यवस्था करना, नए कर्मियों के लिए कंपनियों को प्रॉविडेंट फंड में अनुदान देना, हाईवे, रेल, पोर्ट एवं एयरपोर्ट में निवेश बढ़ाना इत्यादि। वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स में छूट दी है, जबकि एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि की है। यह कदम सही दिशा...
More »टैक्स इतना ले लिया, दोगे कितना!-- अनिल रघुराज
आजाद भारत का पहला बजट नवंबर 1947 में पेश किया था. तब से लेकर अब तक के 68 सालों में अगर देश के कोने-कोने तक सड़क, बिजली, पानी व सिंचाई का भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा व स्वास्थ्य जैसा सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं पहुंचा है, तो इसके लिए हम और हमारे बाप-दादा ही दोषी हैं. हम सिर नीचा किये गाय की तरह घास चरते रहे. कभी सिर उठा कर पूछा नहीं कि...
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