र्ष 2014 और 2015 भारतीय किसानों के लिए बुरे थे। दो सालों तक लगातार खराब मानसून के चलते देश के ग्यारह राज्यों के ढाई सौ से ज्यादा जिलों में सूखे की स्थिति रही। इस स्थिति में भी बिहार के औरंगाबाद जिले के चिल्हकी गांव के किसान खुशहाल थे। वे आज भी खुशहाल हैं। औरंगाबाद-डाल्टेनगंज रोड पर स्थित पिछड़ी जाति बहुल इस गांव की खुशहाली का कारण गांव के ही कुछ...
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खानपान थोपने की बेजा कोशिशें - मृणाल पांडे
पिछले कुछ समय से भारतीय खानपान के लोकतंत्र में मांसाहार के खिलाफ शाकाहार के स्वयंभू रक्षकों ने एक अजीब सा धावा बोल रखा है। भारतीय परंपरा की शुचिता बनाए रखने की अपील करते हुए वे देश के सभी लोगों को जबरन मांसाहार से शाकाहार की तरफ हांक रहे हैं। संभव है कि उनको किसी हद तक शाकाहारी धड़े के मन की बनावट की कुछ जानकारी हो, किंतु वे इस महत्वपूर्ण...
More »पाबंदियों के दौर में- तवलीन सिंह
पिछले हफ्ते जिस दिन अफगानिस्तान में आइएसआइएस की पहाड़ी गुफाओं पर हमला किया अमेरिका ने, मैं दिल्ली के एक जापानी रेस्तरां में दोपहर का खाना खाने गई थी। दो किस्म की सूशी मंगवाई और एक गिलास नाशिक में बनी सफेद वाइन का। वाइन आई, ठंडा घूंट लिया और सोचने लगी डोनल्ड ट्रंप के नए हमले के बारे में। सोच में डूब रही थी कि देखा वेटर मेरे आसपास मंडरा रहा...
More »लाभ-हानि के पलड़े पर यूबीआइ-- रीतिका खेड़ा
साल 2016-2017 के आर्थिक सर्वेक्षण के ठीक पहले वित्त मंत्रालय से छन कर आनेवाली खबरों में यूबीआइ के बारे में खूब चर्चा थी. यूबीआइ के दो मुख्य सिद्धांतों में एक तो इसकी सार्वभौमिकता है, ताकि सभी नागरिक इसके अंतर्गत आ सकें. और दूसरा, एक ‘बुनियादी आय' है, जिसके बल पर किसी अन्य उपार्जन के बगैर भी एक गरिमापूर्ण जीवन जीया जा सके. पर, इस दिशा में अब तक जिन विचारों...
More »शराबबंदी रोकने का बहाना-- आशुतोष चतुर्वेदी
शराब के कारण बढ़ रहे सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देकर हाइवे के 500 मीटर के दायरे में शराब बिक्री पर रोक लगा दी है. इसको लेकर हंगामा मच गया है, अजीब तरह के तर्क दिये जा रहे हैं कि इससे हजारों करोड़ों का नुकसान होगा, लेकिन लोगों की जान बचेगी, इस पर कोई कुछ नहीं बोल रहा. राज्य सरकारें राजमार्गों को सरकारी आदेश...
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