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गंगा को राइन सा करने का सपना

देहरादून [जागरण संवाददाता]। उत्तराखंड सरकार ने देवभूमि में करोड़ों लोगों की आस्था की प्रतीक गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए सरकार ने स्पर्श गंगा अभियान शुरू किया है। इसके तहत नदी को स्वच्छ बनाने के लिए वही तौर-तरीके अपनाए जाएंगे, जिनकी बदौलत फ्रांस की राइन नदी स्वच्छ नदियों में शुमार हो चुकी है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा के पानी की मानीटरिंग के लिए देवप्रयाग से लेकर हरिद्वार तक चार-पांच जगह...

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‘मेरे पास कोई बटन नहीं है जिसे दबाकर चीजें तुरंत बदल दूं’- नीतीश कुमार

बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन लगता नहीं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस चुनौती की ज्यादा फिक्र है. विजय सिम्हा से बातचीत में नीतीश बता रहे हैं कि उनकी सरकार तीन सबसे प्रमुख मुद्दों- निवेश, शिक्षा और भूख पर कैसे आगे बढ़ने वाली है और क्यों उन्हें इस मामले में केंद्र से मदद मिलने की उम्मीद नहीं है. (तहलका हिन्दी से साभार) बिहार में भूख अभी भी एक समस्या है, लेकिन इसे...

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यूपी की सुस्ती के कारण नदी संरक्षण को लगा पलीता

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। गंगा, यमुना और गोमती की धारा को प्रदूषण के बोझ से छुटकारा दिलाने की कोशिशों में उत्तर प्रदेश की सुस्ती केंद्र सरकार की फिक्र बढ़ा रही है। परियोजना कार्यो की धीमी चाल और ठंडे रवैये के कारण राज्य में राष्ट्रीय नदी संरक्षण परियोजना रेंग रही है। बल्कि केंद्र को यह शंका सताने लगी है कि अगले एक दशक में गंगा को निर्मल और अविरल बनाने का उसका संकल्प कहीं सूबे की इस...

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मंदिर में भगदड़, 63 की मौत

प्रतापगढ़। श्रद्धालुओं का सैलाब पलक झपकते ही मातम के मेले में बदल गया। संत कृपालु महाराज के आश्रम पर प्रसाद, थाली-कंबल के लिए मची होड़ में इस कदर अव्यवस्था फैली कि भगदड़ मच गयी। चीख-पुकार के बीच लोग एक-दूसरे पर गिरने-पड़ने लगे, रौंदने लगे। देखते ही देखते मंदिर प्रांगण में 63 लाशें बिछ गयीं। मौत के शिकार लोगों में 37 तो बच्चे थे और 26 महिलाएं। मौका था कृपालु महाराज की पत्नी की श्राद्ध पर भंडारे...

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हमारी नादानी से नदारद न हो जाएं नदियां

इसे अपनी संस्कृति की विशेषता कहें या परंपरा, हमारे यहा मेले नदियों के तट पर, उनके संगम पर या धर्म स्थानों पर लगते हैं और जहा तक कुंभ का सवाल है, वह तो नदियों के तट पर ही लगते हैं। आस्था के वशीभूत लाखों-करोड़ों लोग आकर उन नदियों में स्नानकर पुण्य अर्जित कर खुद को धन्य समझते हैं, लेकिन विडंबना यह है कि वे उस नदी के जीवन के बारे में कभी भी नहीं सोचते।...

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