यूपीए के एक दशक के दागदार शासन के बाद हमने शुरुआत की थी, तब से लेकर आज दुनिया की सबसे तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्थाओं में एक गिने जाने तक, यानी एनडीए-दो के ढाई साल के शासनकाल में भारत की तरक्की की कहानी कई परिवर्तनकारी कदमों के सहारे आगे बढ़ी है। इन कदमों ने न सिर्फ देश की छवि दुनिया भर में निखारी, बल्कि देश के नागरिकों के जीवन-स्तर...
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आज तो आजिज हैं सब गरीब! - मृण्ााल पांडे
दु:ख, असहायता और राज-समाज के उत्पीड़न से भारतीय गरीबों का इतनी सदियों से रिश्ता रहा है कि वे अक्सर उसे खामोशी से सहते रहते हैं। पर हमारे यहां जनता की अनसुनी मूक व्यथा को स्वर देने वाले जनकवियों की वाल्मीकि से लेकर बाबा नागार्जुन तक एक लंबी परंपरा भी है, जिसमें नज़ीर अकबराबादी भी आते हैं। मध्यकाल में जब दिल्ली की बादशाहत उजड़ रही थी और जनता जाट, रुहेले, मराठा...
More »ज्यादातर गरीबों के पास अपने घर, अमीर रहते किराये के मकानों में
अगर आप घर को संपन्नता का प्रतीक मानते हैं, तो अपनी सोच बदलें। हमारे देश में अमीरों की तुलना में ज्यादा संख्या में गरीब अपने मकानों में रहते हैं। जबकि संपन्न वर्ग का एक बड़ा हिस्सा किराये के मकान में रहता है। पीपुल रिसर्च ऑन इंडियन कंज्यूमर इकोनॉमी के राष्ट्रीय सर्वे में यह दावा किया गया है। हालांकि भारत के उलट विकसित देशों में ज्यादा पैसे वाले लोग अपने घरों में...
More »भारत के सिर्फ 1 फीसद लोगों के पास है देश की 60 फीसद संपत्ति
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद से देशभर में जारी अफरातफरी के माहौल के बीच एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। यह रिपोर्ट बताती है कि देश के अमीर और अमीर हो गए हैं और गरीब तबका और गरीब। यह रिपोर्ट क्रेडिट सुइस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने जारी की है। यह कहती है रिपोर्ट क्रेडिट सुइस रिसर्च इंस्टीट्यूट की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2016 बताती...
More »नींद क्यों रात भर नहीं आती!-- चंदन श्रीवास्तव
कुछ वाक्य बड़े चमकदार होते हैं. मुंह से निकलते ही ऐसे वाक्य सबकी जबान पर चढ़ जाते हैं. इस हफ्ते की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में रेल पुल के शिलान्यास के वक्त प्रधानमंत्री के मुंह से ऐसा ही चमकदार वाक्य निकला कि ‘गरीब चैन की नींद सो रहा है, कालेधन वाले नींद की गोलियां खरीद रहे हैं.' प्रधानमंत्री शायद यूपी के चुनावों को देखते हुए पुरबिया अंचल के लोगों...
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