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खेत हुए काले और आसमान में फैला धुआं, क्यों पराली जलाना बंद नहीं कर रहे हैं पंजाब के किसान

दिप्रिंट, 3 नवम्बर जले धान की पराली के बीचों बीच खडे किसान की आंखें लाल हैं और उनसे पानी आ रहा है. चारों और धुआं ही धुआं है. खेत में पराली जलाने में मशरूफ पंजाब के संगरूर जिले के गोबिंदपुरा गांव का ये किसान फिलहाल तो किसी भी तरह का कोई लेक्चर सुनने के मूड में नहीं था. उन्होंने फसल कटने के बाद खेत में बची ठूंठ में आग लगाने के कुछ...

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कश्मीर में किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही बादाम की खेती, दूसरी बागवानी फसलों की तरफ कर रहे हैं रुख

गाँव कनेक्शन, 3 नवम्बर कश्मीर के मीठे बादाम, जिनमें तेल की मात्रा अधिक होती है, 'मेवा के राजा' के रूप में जाने जाते हैं। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अनुसार भारत में उत्पादित कुल बादाम का 91 प्रतिशत से अधिक जम्मू और कश्मीर में खेती की जाती है, इसके बाद हिमाचल प्रदेश में नौ प्रतिशत की खेती की जाती है। लेकिन, कश्मीर के बादाम के बागों की जगह धीरे-धीरे सेब सहित अन्य...

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वैश्विक ग्रीन हाउस उत्सर्जन 2025-2030 के बीच अपने चरम पर होगा

कार्बनकॉपी, 01 नवम्बर मिस्र के शर्म-अल-शेख में सोमवार से शुरू हो रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में इस बात का आकलन भी होगा कि आखिर उन वादों से क्या हासिल हो रहा है जो दुनिया के तमाम देशों ने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए किए हैं। इन राष्ट्रीय वादों या संकल्पों को तकनीकी भाषा में एनडीसी (नेशनली डिटर्माइंड कॉन्ट्रिब्यूशन) कहा जाता है। शर्म-अल-शेख सम्मेलन से पहले जलवायु परिवर्तन...

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जलवायु परिवर्तन के चलते पहले से कहीं ज्यादा होंगें इंद्रधनुषों के दीदार

डाउन टू अर्थ,1 नवम्बर शायद ही कोई ऐसा प्रकृति प्रेमी होगा जिसे इंद्रधनुष की सतरंगी आभा अच्छी न लगती हो। आसमान में जब इंद्रधनुष नजर आता है तो सबकी नजरें उसी पर टिक जाती हैं। आपमें से बहुत से लोगों ने इसे देखा भी होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जलवायु में आते बदलावों के चलते धरती पर पहले से कहीं ज्यादा इंद्रधनुष नजर आएंगें।  इस बारे में हवाई विश्वविद्यालय से...

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बीते तीन सालों में सरकार ने 50 प्रतिशत कल्याणकारी योजनाओं को किया खत्म

डाउन टू अर्थ, 31 अक्टूबर किसी भी देश की प्रगति उसके द्वारा समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़ी जनता के लिए चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की सफलता से आंका जाता है। लेकिन केंद्र सरकार इस मामले में बहुत पिछड़ गई है और इसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि पिछले तीन वर्षों के अंदर मौजूदा केंद्र सरकार द्वारा चलाई जाने...

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