उस्मानाबाद (महाराष्ट्र)। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में भीषण सूखे का असर स्वास्थ्य सेवाओं पर भी साफ दिखाई देने लगा। यहां एक सरकारी अस्पताल में नए मरीजों को भर्ती करना बंद कर दिया गया है। अस्पताल के अधिकारी डॉ.प्रकाश खापर्डे ने कहा कि राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में दो बोरवेल थे जिनका पानी तीन दिन पहले सूख गया। इस कारण अस्पताल प्रशासन को यह कदम उठाना पड़ा। अस्पताल मेडिकल कॉलेज से संबद्ध है...
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जीवन-मरण का वैश्विक प्रश्न--- निरंकार सिंह
जब ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा शुरू हुई थी, तब इस प्रकार के आकलन की वैज्ञानिकता पर काफी सवाल उठाए गए थे। लेकिन धीरे-धीरे वे सवाल खामोश होते गए। अब पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ने तथा इसके फलस्वरूप जलवायु संकट तीव्रतर होने की हकीकत पर मतभेद की गुंजाइश नहीं रह गई है। दुनिया भर के वैज्ञानिक अब यह अनुभव करने लगे हैं कि हम आधुनिक विकास के जिस रास्ते पर चल...
More »केंद्र के पानी को अखिलेश सरकार ने नकारा कहा- बुंदेलखंड में हालात लातूर जैसे नहीं
लखनऊ : केंद्र सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश के सूखा प्रभावित और जल संकट झेल रहे बुंदेलखंड इलाके को भेजी गई पानी की ट्रेन को अखिलेश सरकार ने स्वीकारने से इनकार कर दिया है. रेल मंत्रालय को इस बाबत यूपी सरकार ने एक पत्र लिखा जिसमें कहा गया है कि हमारे यहां लातूर के जैसे हालात नहीं हैं. हम यहां जल उपलब्ध कराने में सक्षम हैं. यदि हमें पानी...
More »इंद्र भरोसे खेती, पर कब तक--- बिभाष
हरित क्रांति के मसीहा डॉ नॉर्मन बोरलॉग ने साठ के दशक में बौनी प्रजाति के अधिक उपज वाले गेहूं की ईजाद की. सभी देशों की तरह भारत में भी उस गेहूं की खेती शुरू की गयी. बौनी प्रजाति के गेहूं ने उस वक्त की राजनीति गढ़ने का भी काम किया, जिस पर बहस और शोध होना चाहिए. देखते-देखते गेहूं की उपज दूनी हो गयी. सन् 1959-60 में जो गेहूं...
More »किसानों के अनुभव : समाज को निबटना होगा सूखे से, सरकार के भरोसे नहीं
लगातार दो कमजोर मॉनसून और लापरवाह जल-प्रबंधन के कारण देश में सूखे का संकट उत्तरोत्तर गंभीर होता जा रहा है. देश की करीब आधी आबादी सूखा और जल-संकट की चपेट में है. कई इलाकों में तो दो साल से अधिक समय से यह स्थिति व्याप्त है. अत्यंत गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र इस विपदा से निबटने में न सिर्फ...
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