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सुरक्षा बलों से फर्जी गिरफ्तारियां करवा कर क्या हम उन्हें भ्रष्ट नहीं बना रहे हैं?

-जनपथ, 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हैं। कोविड के कुप्रबंधन, पंचायत चुनावों में करारी हार व राम मंदिर के लिए अयोध्या में भूमि घोटाला से भारतीय जनता पार्टी को अपनी सियासी जमीन खिसकती नजर आ रही थी। अब उसने आंतकवाद के नाम पर राजनीतिक ध्रुवीकरण का पुराना खेल शुरू किया है। लखनऊ में 11 जुलाई, 2021 को आतंकवाद निरोधक दस्ता ने 30 वर्षीय मिनहाज अहमद पुत्र सिराज अहमद को दुबग्गा से...

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क्या बैंकों का निजीकरण एक व्यवहार्य विकल्प है?

-जनपथ, वित्तीय वर्ष 2022 के निजीकरण अभियान के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए वित्त मंत्रालय द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों को बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और 1980 से बाहर लाने के लिए विधायी संशोधन संसद के मॉनसून सत्र में लाने की चर्चा है। आईडीबीआई बैंक का निजीकरण भी प्रक्रियाधीन है। गत पचास वर्षों से देश की अर्थव्यवस्था की...

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जिस तरह अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा को जेल में मार डाला, उसी तरह भारत सरकार ने स्टेन को: स्वामी के साथी

-आउटलुक, "लेकिन हम फिर भी समूहों में गाएंगे,  पिंजरे में बंद पंछी अभी भी गा सकता है।" ये शब्द किसी और के नहीं बल्कि फादर स्टेन स्वामी के थे, जिन्होंने जेल से अपने एक साथी जेसुइट पादरी को लिखे पत्र में कहा था। दोनों हाथों में लगातार झटके के साथ तेज पार्किंसंस बीमारी से पीड़ित स्टेन ने पत्र लिखने के लिए इस दर्द को उठाया, क्योंकि वो अन्य कैदियों की दुर्दशा को उजागर...

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2019 में कर्नाटक के सत्ता परिवर्तन में हो सकती है सर्विलांस की भूमिका: लीक डेटा

-द वायर, इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के अज्ञात भारतीय क्लाइंट की दिलचस्पी वाले फोन नंबरों के रिकॉर्ड की द वायर  द्वारा की गई समीक्षा में सामने आया है कि कर्नाटक में विपक्ष की सरकार गिरने से पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर और तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निजी सचिवों के फोन नंबर को संभावित हैकिंग के लिए बतौर टारगेट चुना गया था. ये नंबर फ्रांस की मीडिया नॉन-प्रॉफिट फॉरबिडेन स्टोरीज़...

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जनहित याचिका पर जुर्माना: अब अदालत भी पूछने लगी है कि ‘तू क्या है?’

-न्यूजक्लिक, “हर एक बात पे कहते हो तुम कि 'तू क्या है' तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है” ग़ालिब ने जब यह शेर कहा होगा तो ज़ाहिरा तौर पर उनके दिमाग में कोई अदालत नहीं रही होगी। लेकिन उत्तराखंड में वाक़या ऐसा हो गया कि अदालत से भी ऐसा ही प्रश्न पूछना पड़ रहा है कि “ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है” ! 14 जुलाई 2021 को उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल के मुख्य न्यायाधीश की...

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