तेलंगाना का छोटा गांव है माचनूर। वैसे तो यह गांव आम गांव की तरह है लेकिन सामुदायिक रेडियो ने इसे खास बना दिया है। इस गांव का नाम इतिहास में दर्ज हो गया है, देश का पहला सामुदायिक रेडियो इसी गांव में स्थापित हुआ। एक और इतिहास बना, वह है दलित महिला किसानों ने इसे चलाया। वे रिकार्डिंग से लेकर कार्यक्रम प्रसारित करने तक के सभी काम करती हैं। संगारेड्डी जिले...
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तय होती है सुधारों की जीत-- आकार पटेल
वर्ष 2016 में केरल में हुए विधानसभा चुनावों के फलस्वरूप वहां वाम मोर्चे की सरकार बनी. कांग्रेसनीत मोर्चे की पराजय हुई और उसके सात प्रतिशत मत उसके पाले से खिसक गये. यही नहीं, वाम मोर्चे की विजय के बावजूद उसके मतों में भी दो प्रतिशत की गिरावट आ गयी. दरअसल, मतों के ये हिस्से इन दो मोर्चों के समर्थन से खिसक कर जिस एक पार्टी के समर्थन में जा पड़े,...
More »समाज सुधार से टकराती राजनीति-- नीरजा चौधरी
नए साल की इससे अच्छी शुरुआत नहीं हो सकती थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बीते तीन महीनों में 10 से 50 वर्ष की महिलाएं केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई थीं। जिन महिलाओं ने मंदिर में घुसने की कोशिशें कीं, उन्हें जबरन रोक दिया गया था। मगर बुधवार को अहले सुबह इस उम्र की दो महिला श्रद्धालु भगवान अयप्पा की पूजा करने में सफल रहीं...
More »पोषण और अंडे का संघर्ष- ज्यां द्रेज
बच्चों को लेकर भारत में एक बड़ा विरोधाभास दिखायी देता है. एक तरफ, घर में बच्चों को बहुत प्रेम किया जाता है. दूसरी तरफ, लोक-नीति में बच्चों पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है. आज भी गरीब बच्चों को न सही शिक्षा मिल रही है, न स्वास्थ्य सुविधा और न ही पोषण. इसके कारण बांग्लादेश और नेपाल की तुलना में भारत के बाल विकास से संबंधित आंकड़े कमजोर हैं. इससे...
More »सक्रिय अदालत के बेमिसाल फैसले-- कमलेश जैन
इस साल अदालतों की सक्रियता खूब दिखी। ऐसे कई फैसले आए, जो ऐतिहासिक साबित हुए। इन फैसलों से यह खासतौर से लगा कि न्यायालय महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिलाने और समाज में फैली असमानता को दूर करने को लेकर काफी गंभीर है। हालांकि उसकी यह गंभीरता पहले भी कई बार दिखी है। जैसे, शीर्ष अदालत ने ही बलात्कार के मामलों में पीड़िता को दोषी मानने वाले प्रावधान खत्म...
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