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पशुओं की संख्या के आधार पर जैविक गांवों का चयन

पटना कृषि मंत्री रेणु कुमारी कुशवाहा ने जिला कृषि पदाधिकारियों को 18 जनवरी तक चयनित जैविक गांवों की सूची भेजने का निर्देश दिया है। जैविक गांवों के चयन का आधार पशुओं की संख्या होगी। इसका चयन जिला कृषि पदाधिकारी, आत्मा के परियोजना निदेशक व पशुपालन पदाधिकारी संयुक्त रूप से करेंगे। जैविक गांवों के चयन सम्बन्धित संचिका कृषि विभाग के मार्गदर्शन के लिए लम्बित थी। कृषि विभाग द्वारा जारी आदेश के तहत ऐसे गांवों का ही चयन...

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विकास से चूके तो और विनाशक होंगे नक्सली

नई दिल्ली, राजकिशोर। नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास की धीमी गति से केंद्र असंतुष्ट है। केंद्र सरकार ने राज्यों से आपरेशन के साथ-साथ युद्धस्तर पर ही बुनियादी ढांचे से लेकर लोगों को रोजगार से जोड़ने वाली योजनाएं पूरी करने को कहा है। गृह मंत्रालय ने साफ कहा है कि हमेशा संगीनों के साये में विकास कार्य नहीं हो सकते, लिहाजा इसमें तेजी लाकर सीधे लोगों से जुड़कर उनके दिल में जगह बनाएं। राज्यों को चेतावनी दी...

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फसल पर अब पाले की मार के आसार

मौसम में अचानक आए परिवर्तन से लगातार गिर रहे तापमान और घने कोहरे के चलते पाला पड़ने के आसार बन गए हैं। पाले से रबी की अधिकतर फसलों को खराब होने की आशंका बढ़ गई है। मौसम ने किसानों की धड़कने बढ़ा दी है। वहीं दूसरी तरफ कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को पाले से सचेत रहने की सलाह दी है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम में आए परिवर्तन और घने कोहरे से सरसों...

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बारिश कम होने से सूखे जैसे हालात

जम्मू, जागरण संवाददाता : वर्ष 2009 मौसम को चुनौतियां देता दिखा। न तो समय पर बारिश हुई और न ही गर्मी, सर्दी भी ऐसी रही कि इससे पर्यावरण को सुरक्षित माना जाए। कम बारिश होने के कारण और तापमान के उतार चढ़ाव के चलते फसल तो प्रभावित हुई ही पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात के दिनों में निकलने वाले झरने भी नहीं फूटे। पर्यावरणविद् डा. संजय शर्मा के अनुसार नदी-नालों का जलस्तर कम हुआ है। बहुत से...

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लोकतंत्र पर भारी पड़ी भूख की लड़ाई

दाउदनगर (औरंगाबाद) झारखंड के मजदूरों को राजनीति से कोई मतलब नहीं रह गया है। यहां जिनोरिया में कृषि कार्य करने पलामू और गढ़वा जिला से दर्जनों मजदूर आए है। उन्हे इससे भी कोई मतलब नहीं है कि झारखंड की राजनीति क्या हो रहा है। उन्हें बस अपने पेट की चिंता है। छतरपुर के रामपति भुईयां कहते है कि घर दुआर हइए नहीं है, खपरैल है, जैसे तैसे रहते है। चुआड़ी बनाकर बरसात का पानी पीते...

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