जनसत्ता 16 अक्तूबर, 2013 : सर्वोच्च अदालत के दो ताजा लागू फैसलों और केंद्रीय चुनाव आयोग के एक गैर-लागू निर्णय के बाद चुनावी भ्रष्टाचार के दलदल में रसूखदार राजनीतिकों के धंसने का नया युग शुरू हो गया है। न्यायमूर्ति अनंगकुमार पटनायक और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने दस जुलाई के ऐतिहासिक निर्णय के जरिए यह कील ठोंक दी है कि दो वर्ष या इससे अधिक की सजा पाने वाला...
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भूमि अधिग्रहण एक्ट 1 जनवरी से होगा प्रभावी
यह ऐतिहासिक अधिनियम किसानों को दिलाएगा उनकी जमीन का वाजिब मुआवजा इस अधिनियम को जितनी जल्दी अधिसूचित किया जाएगा, उतनी ही जल्दी भूमि अधिग्रहण से जुड़े मुआवजे को लेकर जारी अनिश्चितता खत्म होगी। - जयराम रमेश, ग्रामीण विकास मंत्री राज्यों की राय नामंजूर राज्य सरकारों की राय यह थी कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम को 1 अप्रैल, 2014 से अधिसूचित किया जाए इस एक्ट के...
More »सहकारी समितियां सूचना के अधिकार कानून के दायरे में नहीं आतीं : उच्चतम न्यायालय
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि सहकारी समितियां सूचना के अधिकार कानून के दायरे में नहीं आती हैं। न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की खंडपीठ ने सभी सहकारी समितियों को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में लाने संबंधी केरल सरकार के परिपत्र को सही ठहराने वाला उच्च न्यायालय का निर्णय निरस्त करते हुए यह व्यवस्था दी। न्यायाधीशों ने कहा कि इस तरह की...
More »गन्ना किसानों का कसूर- हरवीर सिंह
उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए एक बार फिर 1996-97 पेराई सीजन का माहौल बन रहा है। वह पहला साल था, जब राज्य की निजी चीनी मिलों ने गन्ना किसानों को राज्य सरकार द्वारा तय किया जाने वाला राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) देने से मना कर दिया था। चालू पेराई सीजन में भी चीनी मिलों ने साफ कर दिया है कि वे किसानों को 240 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक...
More »कुप्रबंध की संस्कृति- हरिवंश
देश, वाचाल वृत्ति, बौद्धिक विलासिता, पर-उपदेश वगैरह की ‘लचर जीवन संस्कृति’ से नहीं चलता. आज के भारत में सरकार, राजनीति से लेकर समाज स्तर पर यही जीवन संस्कृति है. अमर्त्य सेन जिस ‘आर्ग्यूमेंटेटिव इंडिया’ (बहस में डूबे भारत) की बात करते हैं, उसे जमीन पर देखें-समझें तो बात ज्यादा स्पष्ट और साफ होती है. मूलत: हम बातूनी लोग हैं, बिना कर्म बात-बहस करनेवाले. किसी के बारे में कुछ भी टिप्पणी....
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