हर बरस की बात है यहां. बारिश का सीजन आता है. बाढ़ की खबरें आती हैं. मौत के आंकड़े आते हैं और, अंत में ‘राहत की घोषणा’ होती है! घोषणा आते ही सरकार की वाहवाही शुरू हो जाती हैं. इस वाहवाही की गूंज के पीछे छिप जाती है आम लोगों की ‘चीत्कार’...ऐसी ही कहानी है ‘असम’ की. उत्तर–पूर्वी भारत का एक राज्य जो मई और जून के महीनों में बाढ़ से जूझता...
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ओबीसी वोट की होड़ में कैसे दब गया जातिगत जनगणना का मुद्दा
-जनपथ, देश के पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जातिगत राजनीति करने वाली पार्टियां अपने-अपने वोट बैंक साधने के लिए प्रयासरत हैं। देश का ओ.बी.सी. समुदाय कुल आबादी का 50 प्रतिशत से अधिक है। जाति आधारित राजनैतिक पार्टियां इस समुदाय को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रही हैं, इसीलिए जाति जनगणना करने की...
More »क्या मतदान का अधिकार राजनीतिक व्यवहार को प्रभावित करता है? भारत से ऐतिहासिक साक्ष्य
-गांव सवेरा, लोकतंत्र को लंबे समय से बेहतर आर्थिक विकास परिणामों के लिए जाना जाता है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि नागरिकों को मतदान का अधिकार देना, राजनीतिक भागीदारी या प्रतियोगिता को प्रभावी बनाए रखने को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त है या नहीं। एक नए प्रयोग के तहत 1921-1957 के दौरान जिला-स्तरीय डेटासेट को आधार बनाते हुए यह लेख इस बात की जाँच करता है कि भारत में किस...
More »करतारपुर कॉरिडोर: बंटवारे के वक़्त बिछड़े, करीब 75 साल बाद मिले दो भाई और लगी आंसुओं की झड़ी
-बीबीसी, "इमरान ख़ान से कहो न कि मुझे वीज़ा दे. भारत में मेरा कोई नहीं है." "तुम पाकिस्तान आओ, मैं तुम्हारी शादी करा दूंगा." यह उन दो भाइयों की बातचीत का एक हिस्सा है जो आज़ादी के बाद अब पहली बार मिले हैं. मोहम्मद सिद्दीक़ और मोहम्मद हबीब की ये नायाब मुलाक़ात उन लाखों लोगों की आखों में बरसों बरस रहा एक ख्वाब है, जिनके लिए आज़ादी के साथ हुआ विभाजन सिर्फ़ एक कहानी...
More »गांव में अपराध: क्या सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से फर्क पड़ता है?
-गांव सवेरा, ग्रामीण भारत में गरीबी के उन्मूलन और आर्थिक विकास हेतु अच्छी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच होना महत्वपूर्ण है। यह लेख, भारत मानव विकास सर्वेक्षण (आईएचडीएस) के 2004-05 और 2011-12 के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए दर्शाता है कि पक्की सड़कों से जुड़े गांवों के परिवारों में अपराध, श्रम बल की भागीदारी और पारिवारिक आय के सन्दर्भ में उन गांवों में रहने वालों की तुलना में बेहतर परिणाम पाए गए...
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