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उदारीकरण के बाद बनीं आर्थिक नीतियों से ग़रीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती गई- सचिन कुमार जैन

विकास की पूरी बहस आर्थिक विकास के इर्द-गिर्द सीमित हो गई है. आख़िर इस आर्थिक विकास ने हमें एक ऐसी चमक दी है, जो हमारी आंखों में पड़ती है और फिर हमें असमानता दिखाई देना बंद हो जाती है. वर्तमान विकास मिथ्या सकारात्मकता का सबसे ज़्यादा निर्माण करती है. वर्ष 2018 की फोर्ब्स की रिपोर्ट (जो केवल दुनिया के अमीरों के काम, जीवन शैली और कमाई पर अध्ययन-प्रकाशन करती है) के...

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किसानों का मार्च (पार्ट-2): जमीन पर बेकार हैं कृषि नीतियां, मौजूदा सिस्टम में बड़े बदलाव की जरूरत

कृषि-संकट कोई अचानक आ धमका हो ऐसी बात नहीं. जैसा कि नीति आयोग के एक रिपोर्ट में कहा गया है, समस्या की शुरुआत 1991-92 से होती है- इससे पहले अर्थव्यवस्था के खेतिहर और गैर-खेतिहर क्षेत्र समान गति से बढ़ रहे थे. साल 1991-92 के बाद गैर-खेतिहर क्षेत्र ने ऊंची वृद्धि-दर की राह पकड़ी. यह आर्थिक उदारीकरण का दौर था. गैर-खेतिहर क्षेत्र की वृद्धि दर 8 फीसदी के पार पहुंच रही...

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क्या कहती है प्रवेशार्थियों की भीड़- हरिवंश चतुर्वेदी

देश के शीर्षस्थ विश्वविद्यालयों में से एक दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में प्रवेश की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। 1922 में स्थापित इस केंद्रीय विश्वविद्यालय में 16 संकाय, 86 विभाग और 77 संबद्ध कॉलेज हैं, जिनके विभिन्न कोर्सों में उपलब्ध 70 हजार सीटों के लिए लगभग ढाई लाख विद्यार्थी हर साल आवेदन करते हैं। देश के हर कोने से प्रतिभाशाली विद्यार्थी यह सपना लेकर इन दिनों राजधानी पहुंचते हैं कि किसी...

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बिहार के कारण नहीं पिछड़ा भारत- डॉ शैबाल गुप्ता

पिछले दिनों नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने एक बयान दिया- 'बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के कारण भारत पिछड़ा बना हुआ है.' इस बयान में कोई सच्चाई नहीं है और न ही इसका कोई ठोस आधार ही है. इस बयान को दो ढंग से लिया जा सकता है. एक : शायद अमिताभ कांत भारत के अल्पविकसित होने के क्रम-काल को नहीं समझ पाये, इसलिए उनको लगा कि...

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मात्तृत्व बनाम सफलता की सीड़ियां-- विशेष गुप्ता

आजकल आइटी क्षेत्र से जुड़ी कुछ खास कंपनियों में महिला कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर काफी जोर है। आंकड़े भी बताते हैं कि भारत में ऐसी कंपनियों में कार्यरत महिलाओं की संख्या एक तिहाई को पार कर गई है। आज तमाम आइटी कंपनियों में महिला कर्मी पुरुष कर्मियों के मुकाबले अपनी बेहतर कार्यक्षमता के साथ आगे आई हैं। ‘इंडिया इंक' का रुझान भी आजकल इन कारोबारी कंपनियों में ज्यादा से...

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