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'विंग अपस्ट्रीम: लूनी फेलोशिप' के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 31 अक्टूबर, जल्द करें आवेदन

"मूविंग अपस्ट्रीम: लूनी" कार्यक्रम वेदितम इंडिया फाउंडेशन के मूविंग अपस्ट्रीम फेलोशिप कार्यक्रम का एक हिस्सा है। वेदितम इंडिया फाउंडेशन, आउट ऑफ ईडन वॉक के साथ साझेदारी में हैं। लूनी कार्यक्रम के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के साथ साझेदारी की है और यह प्रयास A4Store और आउट ऑफ ईडन वॉक द्वारा समर्थित है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नदी और उसके आसपास के जीवन का दस्तावेजीकरण करना...

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पराली समस्या पर सरकारी प्रयास अव्यावहारिक, क्या है पर्यावरण हितैषी स्थायी समाधान?

डाउन टू अर्थ, 18 अक्टूबर  भारत सहित पूरी दुनिया के लगभग 80 प्रतिशत किसान धान की पराली जलाते हैं, जिससे गंभीर वायु प्रदूषण फैलता है। जो हर साल घनी आबादी और ज्यादा औद्योगिक घनत्व वाले भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मेंं अक्टूबर-नवंबर महीने मेंं हवा की गति कम होने और हिमालय से ठंडी हवा आने से बहुत ज्यादा गंभीर हो जाता है। इस वायु प्रदूषण समस्या के समाधान के लिए केन्द्र...

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किसान का 'जेंडर' ?

किसानों के ऊपर जब भी बात की जाती है तब उस बातचीत का दायरा इतना संकीर्ण क्यों हो जाता है ? सिर्फ ‘पुरुष’ किसान को ही किसानों का एकमात्र प्रतिनिधि मान लिया जाता है। ऐसा क्यों ? तमाम अखबारों से लेकर टीवी चैनलों के चित्रपटों पर ‘पुरुष’ किसान ही पूरे कृषक समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहा होता है। क्या इस देश की खेती–बाड़ी में महिलाओं का कोई योगदान नहीं है...

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मॉनसून में कमी के चलते ग्रामीण इलाकों में बढ़ी मनरेगा के तहत काम की मांग

डाउन टू अर्थ, 13 सितम्बर  पिछले तीन महीनों में मॉनसून के दौरान पर्याप्त बारिश न होने के कारण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में काम की मांग काफी बढ़ गई है। कुछ राज्यों में तो यह मांग महामारी के समय से भी ज्यादा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक सितंबर के दूसरे सप्ताह तक देश में होने वाली मानसूनी बारिश में 40...

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चावल की उपज पर मंडरा रहा खतरा, अगस्त की बारिश करेगी फैसला

डाउन टू अर्थ, 21 अगस्त  जून और जुलाई में देश के कई हिस्सों में हुई कम वर्षा के चलते चावल उत्पादन पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि, उड़ीसा के कटक स्थित राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में कृषि मौसम वैज्ञानिक देबाशीष जेना ने डीटीई को बताया कि"उत्पादन तभी प्रभावित होगा जब मानसून कोर जोन में मानसून खराब होगा, क्योंकि वहां फसल ज्यादातर वर्षा पर आधारित होती है।" भारत में कोर मानसून क्षेत्र पश्चिम...

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