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वेदांत- हिन्दुत्व और साम्राज्यवादी मंसूबों का विध्वसंक मिश्रण- रोजर मूडी

विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...

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विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें

जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...

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नक्सलवाद पहला ‘शत्रु’ : चिदंबरम

चेन्नई. केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने नक्सलवाद को देश का ‘पहला दुश्मन’ करार देते हुए कहा है कि अगले दो-तीन साल में इस बुराई को जड़ से खत्म हो जाएगा। चिदम्बरम ने कहा कि पिछले करीब 12 वर्षो से इस समस्या से ठीक ढंग से निपटा नहीं गया है। यही वजह है कि नक्सलवाद इतना ज्यादा बढ़ गया है। गृहमंत्री ने कल रात उपनगरीय अवादी इलाके में आयोजित एक जनसभा में कहा कि नक्सलवाद देश का अव्वल...

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ग्रीनहंट को बंदकर वार्ता करे केंद्र सरकार : दीपांकर

जामताड़ा, मिहिजाम। चित्तारंजन स्टेशन रोड के एक लाज में गुरुवार से शुरू हुए भाकपा के तीन दिवसीय केन्द्रीय समिति की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि किसानों के हित मेंराष्ट्रीय स्तर पर अखिल भारतीय किसान संगठन का गठन किया जाएगा। ग्रीनहंट को बंद करने के लिए केंद्र सरकार से मांग की गई। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार महंगाई का जो आंकड़ा पेश कर रही है। दरअसल, वह कागजी है।...

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सवाल सेहत का

   खास बात •    सिर्फ 10 फीसदी भारतीयों के पास हेल्थ इंश्योरेन्स है और यह बीमा भी उनकी सेहत की जरुरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। *** •    अस्पताल में भर्ती भारतीय को अपनी सालाना आमदनी का 58 फीसदी इस मद में व्यय करना पड़ता है।*** •    तकरीबन 25 फीसदी भारतीय सिर्फ अस्पताली खर्चे के कारण गरीबी रेखा से नीचे हैं। *** •    सेहत के मद में होने वाले खर्चे का सवाल बड़ा चिन्ताजनक है। सालाना 10 करोड़ लोग...

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