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सवाल यह है कि पहले कभी ये मजदूर आते-जाते क्यों नहीं दिखे?

-गांव कनेक्शन, पूरा भारत लॉकडाउन में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील कि 21 दिन तक कोरोना से बचाव के लिए वो घरों के बाहर लक्ष्मण रेखा खींच लें। होटल-ढाबे बंद हैं, बस-ट्रेनें बंद हैं, ऐसे में दूसरे राज्यों में फँस चुके लाखों मजदूर सैकड़ों किलोमीटर दूर पैदल ही अपने घर की ओर निकल पड़े हैं, यह मजदूर क्या चाहते हैं और क्यों इन मजदूरों की ऐसी दशा हुई,...

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स्वाइन फ्लू के बाद अब मर्स कोरोना वायरस का खतरा!

-नेशनल सेन्टर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) ने सभी राज्यों को मिडिल इस्ट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रोम कोरोना वायरस की निगरानी रखने के लिए लिखा पत्र। -संदिग्ध मरीज की जांच का सैंपल एनसीडीसी दिल्ली व एनआईवी पूणे भेजने के निर्देश। जयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने मिडिल इस्ट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रोम कोरोना वायरस (Middle East Respiratory Syndrome Coronavirus) के प्रकोप को फैलने से पहले ही अलर्ट जारी किया है। चिकित्सा से जुड़े अधिकारियों को संयुक्त अरब अमीरात,...

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भुखमरी-एक आकलन

 खास बात   - साल 1990 में भारत का जीएचआई अंक 32.6 था, साल 1995 में यह अंक 27.1, साल 2000 में 24.8, साल 2005 में  24.0 तथा साल 2013 में 21.3 था। साल 2013 में भारत का जीएचआई अंक(21.3) चीन (5.5), श्रीलंका (15.6), नेपाल (17.3), पाकिस्तान (19.3) और बांग्लादेश (19.4) से बदतर है।@ -साल १९८३ में देश के ग्रामीण अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत कैलोरी उपभोग २३०९ किलो कैलोरी का था जो साल १९९८ में घटकर २०१०...

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न्याय:कितना दूर-कितना पास

  खास बात  • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।*  • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...

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सवाल सेहत का

   खास बात •    सिर्फ 10 फीसदी भारतीयों के पास हेल्थ इंश्योरेन्स है और यह बीमा भी उनकी सेहत की जरुरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। *** •    अस्पताल में भर्ती भारतीय को अपनी सालाना आमदनी का 58 फीसदी इस मद में व्यय करना पड़ता है।*** •    तकरीबन 25 फीसदी भारतीय सिर्फ अस्पताली खर्चे के कारण गरीबी रेखा से नीचे हैं। *** •    सेहत के मद में होने वाले खर्चे का सवाल बड़ा चिन्ताजनक है। सालाना 10 करोड़ लोग...

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