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पीड़ित बच्चे नहीं जानते कि वह एचआईवी से ग्रस्त हैं, हर पांच मिनट में हो रही एक की मौत

-न्यूजलॉन्ड्री, दुनिया में कहीं न कहीं हर पांच मिनट में एक बच्चे की मौत एचआईवी/एड्स के कारण हो रही है. यह जानकारी यूनिसेफ द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट में सामने आई है, जिसके अनुसार 2020 में करीब 1.2 लाख बच्चों की जान एचआईवी संक्रमण के कारण गई थी. यही नहीं यदि रिपोर्ट में जारी आंकड़ों को देखें तो 2020 में कम से कम 300,000 बच्चे एचआईवी संक्रमित हुए थे, जिसका मतलब है...

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आत्महत्याओं पर एनसीआरबी डेटा को सावधानी के साथ समझना

पिछले वर्षों की तुलना में 2020 के दौरान भारत में आत्महत्याओं की कुल संख्या में वृद्धि हाल ही में सुर्खियों में रही है. जबकि कुछ मीडिया टिप्पणीकारों ने कहा है कि 2020 में आर्थिक संकट (नौकरी छूटने, आय में कमी, व्यवसाय में विफलता और बढ़ती भूख, अन्य कारणों के अलावा) के कारण अधिक आत्महत्याएं हो सकती हैं, अन्य ने कहा है कि घर में अलगाव और बिगड़ती मानसिक स्वास्थ्य स्थिति...

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असम के दक्षिण-पश्चिमी जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय – I

-न्यूजक्लिक, दुनियाभर में कोविड-19 के प्रसार ने एक प्रकार से भानुमति का पिटारा ही खोलकर रख दिया है, क्योंकि अधिकाँश देशों में मामलों की संख्या में दिन-दूनी रात-चौगुनी वृद्धि से निपटने के मामलों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहद अपर्याप्त पाया गया था। कई देशों में मौतों को रोक पाना बेहद दुष्कर कार्य जान पड़ा। महामारी ने वैज्ञानिक समुदाय के सामने एक हिमालय जैसी अलंघ्यनीय चुनौती पेश कर दी थी –...

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बीते एक दिन में देश में कोविड-19 संक्रमण के 10,929 नए मामले और 392 मरीज़ों की मौत

-द वायर, भारत में शनिवार को कोविड-19 के 10,929 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,43,44,683 हो गई. वहीं,  पिछले 24 घंटों में संक्रमण से 392 और मरीजों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 4,60,265 हो गई. अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, इस बीच पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 24,91,35,593 हो गए...

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क्या फसल बीमा से भारतीय किसानों को मदद मिली है? अधिकांश को समय पर भुगतान भी नहीं मिलता

-द प्रिंट, हर तरह के व्यवसाय में जोखिम उठाना शामिल होता है, लेकिन भारत में सिंचाई की कम उपलब्धता को देखते हुए खेती स्वाभाविक रूप से अधिक जोखिम भरा हो जाता है, क्योंकि यह इसे मौसमी परिस्थितियों में बदलाव, खास तौर पर बारिश जो या तो सूखे या फिर बाढ़ का कारण बनती है, के प्रति बहुत संवेदनशील बनाती है. 2015-16 में केवल 49 प्रतिशत कृषि भूमि ही सिंचाई के अधीन थी और...

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