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ट्रेन से हाथियों की टक्कर के बाद असम के लोको पायलटों के अनुभव, क्या है समाधान

मोंगाबे हिंदी, 13 फरवरी हत्यारा कहलाना किसी को पसंद नहीं है। किसी भी प्राणी की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराना विचलित करने वाला हो सकता है। हाथी की तो बात ही छोड़िए। कुत्ते, बकरी या गाय की मौत भी उतनी ही दुखदायी होती है,” पूर्वोत्तर भारत में काम करने वाले एक लोको पायलट ने अपनी ट्रेन से एक हाथी से टकराने के बाद अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा। उस हाथी...

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ग्रामीण ओडिशा में अनाज भंडारण करने का देसी तरीका 'गोला', लेकिन अब लुप्त होने का डर

गाँव कनेक्शन, 13 दिसंबर भागीरथी मंडल ने यह मानने को तैयार नहीं हैं कि केंद्रपाड़ा जिले में उनके गाँव हरियांका के पारंपरिक गोला (भंडार घर) को कभी भी बदला जा सकता है। "गोला के बिना फसल की कटाई को संरक्षित करना हमारे लिए असंभव है। यहां तक कि सबसे बढ़िया भंडारगृह भी पर्याप्त नहीं होते। गोले अतीत में महत्वपूर्ण थे, अब भी महत्वपूर्ण हैं और भविष्य में भी प्रासंगिक रहेंगे, "...

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मॉन्ट्रियल सम्मेलन: जैव विविधता क्यों है मीडिया की बहस से गाय

कार्बनकॉपी, 8 दिसंबर पिछले महीने मिस्र के शर्म-अल-शेख में हुए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप) को लेकर मीडिया में जैसी (थोड़ी बहुत ही सही) हलचल थी वैसी अभी कनाडा के मॉन्ट्रियल में चल रहे जैव विवधता संरक्षण सम्मेलन (सीबीडी) को लेकर नहीं दिख रही। हालांकि जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता दोनों ही विषयों पर संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क कंन्वेन्शन 1992 में हुये रियो अर्थ समिट में एक साथ स्थापित किए गए और...

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डाउन टू अर्थ, गहन पड़ताल: लम्पी बीमारी ने बिगाड़े हालात, ग्रामीण ही नहीं शहरी भी प्रभावित

डाउन टू अर्थ, 22 नवम्बर “मरी हुई गायों को घसीटकर ट्रकों में लादा जा रहा है और रोड से होकर हड्डा रोड़ी (वह जगह जहां मृत जानवरों को फेंका जाता है) या गांव के नजदीक की खाली जमीन में डम्प करने के लिए ले जाया जा रहा है। हड्डा रोड़ी में पहले से ही मृत मवेशियों का अंबार लगा हुआ है। ट्रक मृत गाय को फेंककर लौटते हैं और दोबारा मृत...

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भारत में लुप्त हो जाने के 70 सालों के बाद चीतों की वापसी, दुनिया का सबसे बड़ा संरक्षण ट्रायल

दिप्रिंट, 17 सितम्बर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क के बाहर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ जश्न का माहौल हो गया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को उनके बाड़ों में छोड़ा, और इसी के साथ एक ऐसी प्रजाति की वापसी हो गई, जो 70 साल पहले भारत से लुप्त हो गई थी. ये स्थानांतरण कार्यक्रम जिस पर दशकों से काम चल रहा था, अपनी तरह का...

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