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संरक्षण के अभाव में कहीं विलुप्त न हो जाए रोबदार बिल्ली स्याहगोश

मोंगाबे हिंदी, 20 अक्टूबर भारत में एक छोटी जंगली बिल्ली पाई जाती है। स्थानीय भाषा में इसे स्याहगोश कहते हैं। इसे कैराकल (कैराकल कैराकल श्मित्ज़ी)  के नाम से भी जाना जाता है। अब अनुमान लगाया जा रहा है कि देशभर में इनकी संख्या महज 50 ही बची है और वो भी देश के पश्चिमी हिस्से में। लंबे गुच्छेदार कानों और लाल-भूरे या रेतीले-भूरे रंग के फर के लिए प्रसिद्ध कैराकल गंभीर...

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जम्मू के तवी रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट से हो सकता है नदी को नुकसान, पर्यावरणविदों ने जताई चिंता

मोंगाबे हिंदी, 20 सितम्बर जम्मू-कश्मीर में सरकार की ओर से बनाए जा रहे तवी रिवरफ्रंट को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी चिंता जताई है कि इससे पर्यावरण को खतरा है और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बुरे होते जा रहे हैं। रुपये 530 करोड़ के खर्च से बनाए जा रहे इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भूजल से स्रोतों को जिंदा करना है। इसके लिए कृत्रिम झीलें बनाई जा रही हैं और उनके साथ ही...

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राजस्थानः 2021 में तस्करों से बचाई गई हथिनी को पुनर्वास का इंतजार

मोंगाबे हिंदी, 13 सितम्बर राजस्थान में, 500 दिन पहले तस्करों से बचाई गई एक हथिनी अभी भी पुनर्वास के लिए उचित जगह का इंतजार कर रही है। इसकी तबीयत लगातार खराब होती जा रही है। दरअसल जहां इसे रखा गया है वहां बचाए गए हाथियों के इलाज के लिए उचित सुविधा नहीं है। अधिकारियों को नहीं पता कि आगे क्या होगा।  18 नवंबर, 2021 को, राजस्थान के वन विभाग ने राज्य की...

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चावल की उपज पर मंडरा रहा खतरा, अगस्त की बारिश करेगी फैसला

डाउन टू अर्थ, 21 अगस्त  जून और जुलाई में देश के कई हिस्सों में हुई कम वर्षा के चलते चावल उत्पादन पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि, उड़ीसा के कटक स्थित राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में कृषि मौसम वैज्ञानिक देबाशीष जेना ने डीटीई को बताया कि"उत्पादन तभी प्रभावित होगा जब मानसून कोर जोन में मानसून खराब होगा, क्योंकि वहां फसल ज्यादातर वर्षा पर आधारित होती है।" भारत में कोर मानसून क्षेत्र पश्चिम...

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चावल की उपज पर मंडरा रहा खतरा, अगस्त की बारिश करेगी फैसला

डाउन टू अर्थ , 17 अगस्त  जून और जुलाई में देश के कई हिस्सों में हुई कम वर्षा के चलते चावल उत्पादन पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि, उड़ीसा के कटक स्थित राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में कृषि मौसम वैज्ञानिक देबाशीष जेना ने डीटीई को बताया कि"उत्पादन तभी प्रभावित होगा जब मानसून कोर जोन में मानसून खराब होगा, क्योंकि वहां फसल ज्यादातर वर्षा पर आधारित होती है।" भारत में कोर मानसून क्षेत्र...

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