शिक्षक को वे सारे कार्य करने हैं, जिनके लिए न तो उसकी नियुक्ति हुई है, न ही वह इच्छुक या प्रशिक्षित हैं. 90% से अधिक बच्चे तीसरी-चौथी कक्षा में पहुंच जाने पर भी अपनी ही कक्षा की हिंदी पुस्तक की दो-चार लाइनें भी दो-चार मिनटों में शुद्ध व सहज स्वर में नहीं पढ़ सकते हैं. मध्याह्न भोजन के अतिरिक्त बच्चों को पाठशाला में कोई आकर्षण नहीं रह गया है. पढ़िए...
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कभी ट्रेन में मांगते थे भीख आज अनाथों के नाथ एलेक्स
पाकुड़: दूसरों की पीड़ा को खुद में महसूस करने की भावना आसानी से नहीं आती और अगर आ जाये तो आदमी महान बन जाता है. पाकुड़ के एलेक्स साम की दास्तां और उपलब्धि इस बात का प्रमाण है. एलेक्स बचपन से अनाथ हैं. उसने अपना बचपन ट्रेन में भीख मांगते हुए, लोगों की उपेक्षा और भूख की मार सहते गुजारा, लेकिन अब तक वह 46 यतीम बच्चों की अंधेरी दुनिया...
More »भ्रष्टाचार की संस्कृति में रचे-बसे हम - एनके सिंह
हर साल की तरह इस साल भी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट आई। भ्रष्टाचार के वैश्विक पैमाने पर भारत अंकों के आधार पर वहीं खड़ा है। पिछले हफ्ते ऑक्सफेम सहित दुनिया की तीन आर्थिक विश्लेषण संस्थाओं ने बताया कि भारत में विगत 25 सालों में गरीब-अमीर की खाई खतरनाक रूप से बढ़ती जा रही है। गरीब और गरीब होता जा रहा है, अमीर और अमीर। हमने कानून बनाए। भ्रष्टाचार के मुद्दे...
More »16 बेमिसाल गांवः तस्वीर और तकदीर बदली इन गांवों ने
असली भारत गांव में बसता है। देश और दुनिया में भले ही चांद पर जाने की बात हो लेकिन गांव का महत्व आज भी कायम है। पेश है देश के 16 ऐसे अनोखे गांव की कहानी जो इस दौर में भी मिसाल बने हुए हैं। कहीं किसी एक ही गांव ने देश को दिए है 47 आईएएस अधिकारी तो कोई गांव पूरी दुनिया को साम्प्रदायिक सौहार्द का पाठ पढ़ा रहा...
More »किराये की कोख बढ़ता कारोबार घपले हजार
पिछले कुछ समय में सरोगेसी का कारोबार तेजी से फैला है। दुनिया भर से जोड़े भारत में कुकुरमुत्ते की तरह उगते आईवीएफ क्लिनिक्स में आते हैं, जहां किराये की कोख उपलब्ध होती हैं और वे उन्हीं के जरिये अपने बच्चों को जन्म देते हैं। पर इस कारोबार के लिए न तो कोई कानून है और न ही कोई निगरानी तंत्र, जिसकी वजह से इसमें शोषण भी बहुत होता है। पेश...
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