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एक नहीं, पांच लोकपाल हों - अरुणा राय

प्रभात खबर चाहता है कि जनलोकपाल और भ्रष्टाचार पर आम लोगों के बीच स्वस्थ विमर्श का सिलसिला शुरू हो. इसके लिए जरूरी है कि इन मुद्दों पर असहमति के बिंदुओं और वैकल्पिक विचारों की भी जानकारी सबको हो. इस क्रम में हम सरकारी लोकपाल और जनलोकपाल विधेयक में बिंदुवार अंतर दे रहे हैं. साथ में पढ़ें राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सदस्य अरुणा राय के विचार. असहमति का स्वर रखनेवाली अरुणा राय राजनैतिक...

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अन्ना ने सिब्बल को उनके ही घर में घेरा

नई दिल्ली।। सिविल सोसायटी के सदस्यों ने अब जन लोकपाल बिल पर कराए गए जनमत संग्रह से केंद्र सरकार को घेरा है। केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के ही चुनाव क्षेत्र में कराए गए इस जनमत संग्रह के आंकड़े जारी करते हुए सोसायटी के सदस्यों ने कहा कि 85 प्रतिशत लोगों ने जनलोकपाल बिल को सपोर्ट किया है। केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जिन बिंदुओं को ड्राफ्ट से हटा...

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भाजपा व संघ से मेरे रिश्तों का सुबूत दे कांग्रेस

नई दिल्ली। खुद को भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ [आरएसएस] का मुखौटा बताए जाने के व्यथित अन्ना हजारे ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कहा है कि कांग्रेस के नेता और मंत्री उन्हें बदनाम करने के लिए झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनके खिलाफ भाजपा और संघ से साठगांठ का कोई सुबूत हो तो उसे सामने लाया जाए। प्रस्तुत है सोनिया गांधी को अन्ना...

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बनायें व्यावहारिक लोकपाल लेखक पूर्व राज्यपाल हैं - प्रभात कुमार

अन्ना हजारे द्वारा जनलोकपाल बिल के लिए शुरू किया गया आंदोलन बहुत ही सफ़ल रहा. उनके प्रति शहरी मध्य वर्ग का जो आकर्षण है, उसने बखूबी काम किया. लोकतंत्र में नागरिकों को अधिकार है कि वे अपनी समस्याओं के बारे में कहें और अपने जनप्रतिनिधियों से इसके निदान की मांग करें. यदि ये जनप्रतिनिधि उनकी समस्याओं से कोई सरोकार नहीं रखते या फ़िर उसका हल नहीं निकाल सकते, तो उचित ही होगा कि...

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हिरना समझ-बूझ वन चरना..- संपादकीय

जिसका शुरू से मुझे डर था, अब वही हो रहा है। लोकपाल के नाम पर उमड़ा अपूर्व जनाक्रोश अब अपूर्व दिग्भ्रम बनता चला जा रहा है। सबसे पहले अन्ना हजारे को ही लें। जब उन्हें अनशन पर बिठाया गया था, तब और अब, जबकि वे लोकपाल विधेयक कमेटी के सबसे महत्वपूर्ण सदस्य हैं, उनकी अपनी कोई सोच दिखाई ही नहीं पड़ती। उन्हें जो भी तत्काल सूझ पड़ता है, उसे वे अखबारों को...

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