SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1025

लग मटका नहीं, कान में पहले से संक्रमण’: सवाल जो जालोर टीचर पर दलित परिवार के आरोपों से मेल नहीं खाते

दिप्रिंट, 17अगस्त  राजस्थान के जालोर जिले के नौ साल के दलित लड़के की ‘उच्च जाति’ के स्कूल प्रिंसिपल की कथित तौर पर उनके मटके से पानी पीने के लिए पीटने के बाद मौत हो गई. इसके कुछ समय बाद ही इन आरोपों पर कि जातिगत भेदभाव की वजह से ये दुखद घटना घटी है, सवाल उठाए जा रहे हैं और इन्हें लेकर संदेह व्यक्त किया जा रहा है. यह घटना कथित तौर...

More »

बाढ़ को असम से इतनी मोहब्बत क्यों ?

हर बरस की बात है यहां. बारिश का सीजन आता है. बाढ़ की खबरें आती हैं. मौत के आंकड़े आते हैं और, अंत में ‘राहत की घोषणा’ होती है! घोषणा आते ही सरकार की वाहवाही शुरू हो जाती हैं. इस वाहवाही की गूंज के पीछे छिप जाती है आम लोगों की ‘चीत्कार’...ऐसी ही कहानी है ‘असम’ की. उत्तर–पूर्वी भारत का एक राज्य जो मई और जून के महीनों में बाढ़ से जूझता...

More »

क्षेत्रपति वर्ग’ के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है मौजूदा दौर

जनचौक, 24 जुलाई भारत में ‘क्षेत्रपति वर्ग’ का उल्लेख वेदों में स्पष्ट रूप से मिलता है। यह वो वर्ग है जो  भूमि स्वामी रहे। इस वर्ग में विभिन्न नस्ल जातियां धर्म और क्षेत्रों के लोग मूल रूप से भूमि से जुड़े कार्यों से जीवन यापन करते थे। जो मुख्यत: किसान थे। भौगोलिक क्षेत्र में कृषि कार्यों पर आधारित जीवन शैली ने क्षेत्रपति वर्ग का निर्माण किया!  कृषि उद्योग ही जीवन पद्धति का मूल अंग रहा! क्षेत्रपति वर्ग में नस्ल जाति धर्म का कोई आधारगत वर्गीकरण...

More »

जेंडर

खास बात   साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38%  फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...

More »

सतत विकास लक्ष्य: साढ़े तीन दशक पीछे चल रहा है एशिया-प्रशांत, जलवायु परिवर्तन के मामले में 6 अंक पिछड़ा भारत

-डाउन टू अर्थ, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और कोविड-19 महामारी ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाला है, जिसका प्रभाव सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) पर भी साफ देखा जा सकता है। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट “एशिया एंड द पैसिफिक एसडीजी प्रोग्रेस रिपोर्ट 2022” से पता चला है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र अपने एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए तय समय सीमा यानी...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close