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झारखंड में बॉक्साइट खनन से बंजर होती आदिवासियों की कृषि भूमि, गिरता भूजल स्तर

मोंगाबे हिंदी, 11 अप्रैल झारखंड के गुमला जिले में नेतरहाट पठार पर स्थित डुंबरपाठ एक आदिवासी आबादी वाला गांव है। यह गांव चारों ओर से बॉक्साइट की खदानों से घिरा है, जहां भारी मात्रा में बॉक्साइट का खनन होता है। पिछले करीब 30 सालों से लगातार हो रहे खनन और अयस्क से भरे ट्रकों की आवाजाही से इस क्षेत्र की जमीन लगभग बंजर हो चुकी है, हवा में फैले धूलकण लोगों...

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बेमौसम बारिश के बावजूद गेहूं का होगा रिकॉर्ड उत्पादन: अधिकारियों का दावा

सरकारी अधिकारियों ने दावा किया है कि देश के कई हिस्सों में हो रही बेमौसम बारिश और ओले गिरने के बावजूद गेहूं के उत्पादन पर असर नहीं पड़ेगा। गौरतलब है कि 3 मार्च, 2023 से भारत के कई राज्यों में बारिश और ओलावृष्टि ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात,...

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नरेगा धरने का 21वां दिन: आधार नहीं, सुधार चाहिए

नरेगा संघर्ष मोर्चा, 17 मार्च प्रेस विज्ञप्ति देश की राजधानी दिल्ली में बीते 3 सप्ताह से नरेगा मज़दूरों का 100 दिवसीय धरना जारी है। जंतरमंतर पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे नरेगा मज़दूरों के धरने का आज 21 वां दिन रहा। नरेगा मज़दूरों का आरोप है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) श्रमिकों की शिकायतों को अनदेखा कर रहा है और श्रमिक प्रतिनिधिमंडलों से मिलने से इनकार कर रहा है। नरेगा संघर्ष मोर्चा के...

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वर्ष 2022 में सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में 8.8 फीसदी की कमी आई: रिपोर्ट

द वायर, 2 मार्च वर्ष 2022 में, देश भर में कुल 5,65,000 नए ग्राहक नई पेंशन योजना (एनपीएस) में शामिल हुए. 2021 में यह आंकड़ा 6,19,835 था. बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार, 2021 की तुलना में 2022 के आंकड़ों में 8.8 फीसदी की गिरावट आई है. यह देखते हुए कि एनपीएस अब सभी केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए अनिवार्य है और अधिकांश राज्यों में सरकारी नौकरियों के लिए भी अनिवार्य है, विश्लेषकों का...

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मनरेगा योजना से क्यों दूर हो रहे हैं मजदूर?

जनचौक, 8 फरवरी ग्रामीण विकास विभाग की अति महत्वाकांक्षी समझी जाने वाली योजना ‘महात्मा गांधी राष्टीय रोजगार गारंटी अधिनियम’ (मनरेगा) में आई कई विसंगतियों के कारण आज मजदूरों में इसके प्रति रुचि नहीं रह गई है। जिसके कारण मनरेगा की योजनाओं में काम करने वाले मजदूरों की संख्या घटती चली गयी है। पहले जहां झारखंड में प्रतिदिन 8 लाख मजदूर काम कर रहे थे, अब वह घटकर 3.5 लाख तक सिमट...

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