25 अगस्त को हरियाणा के पलवल जिले में दस साल की बधिर बच्ची का अपहरण कर बलात्कार करने के बाद हत्या कर दी गई. उस बच्ची की मां, बहन और भाई भी सुन नहीं सकते. टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब उसके परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें भगा दिया गया. मूक-बधिर लोगों के खिलाफ अपराध और खास कर मूक-बधिर बच्चों के...
More »SEARCH RESULT
गुरुग्राम : 'घर में ही रहें' की नसीहत के बीच सरकारी क्रूरता, 600 परिवार किये बेघर
-न्यूजक्लिक, "कहाँ तो तय था चराग़ाँ हरेक घर के लिये, कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये" दुष्यंत कुमार का यह शेर आज की स्थिति पर बिल्कुल सटीक बैठता है। सरकार का लोकसभा चुनाव में बहुत बड़ा वादा था कि जहाँ झुग्गी वहीं मकान, लेकिन इसके विपरीत वर्तमान महामारी के समय में दिल्ली-एनसीआर सहित कई राज्यों में अवैध अतिक्रमण के नाम पर लोगों को बेघर किया जा रहा है। बेघर करके उन्हें सड़कों...
More »“सरकार को डब्ल्यूएचओ की चिंता है, जबकि उसकी वजह से हमारे घर गिरे”
-न्यूजलॉन्ड्री, “झुग्गी-झोपड़ी वालों को इंसान ही ना समझ रहे, बताओ हम कहां जांएगे...अब कहां है मोदी और केजरीवाल, जो झुग्गीवालों को पक्के मकान देने के वादे कर रहे थे. ये सब डब्ल्यूएचओ का करा-धरा है, और कोई भी इसके खिलाफ बोल ना रहा. हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. जब तक हमारी तरफ काम नहीं शुरू होगा इनका काम भी हम नहीं होने देंगे.” ये आरोप बुधवार को आईटीओ के पास अन्ना नगर...
More »‘नेता लोग हवाई जहाज से बैठ के देखता है, उ लोग को नाव में आके देखना चाहिए कि हम किस हाल में हैं’
-द वायर, ‘मेरा घर यहां था… वहां तुम्हारा… पुराना पीपल मेरे घर के ठीक सामने था… देखो, न मानते हो तो नक्शा लाओ… अमीन बुलाओ, वर्ना फौजदारी हो जाएगी… फिर रोज वही पुराने किस्से. और जमीन सूखने नहीं पाती कि बीमारियों की बाढ़ मौत की नई-नई सूरतें लेकर आ जाती है. मलेरिया, कालाजार, हैजा, चेचक, निमोनिया, टायफॉइड और कोई नई बीमारी जिसे कोई डाक्टर समझ नहीं पाते. चीख, कराह, छटपटाते और दम...
More »दाने-दाने को मोहताज हुए दिल्ली के मजदूर
-डाउन टू अर्थ, लगभग डेढ़ माह पहले पूरे देश का ध्यान महानगरों से अपने घर गांव लौट रहे मजदूरों की ओर था। डाउन टू अर्थ ने तब इन मजदूरों के साथ पैदल सफर किया, लेकिन समय के साथ इन मजदूरों को फिर से भुला दिया गया है। लॉकडाउन खुल चुका है। ऐसे में जो मजदूर अपने गांव नहीं जा पाए या जो गांव में काम न मिलने पर फिर से महानगर...
More »