SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 27

सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान- हरिवंश

अमेरिका के जितने भी महान विश्वविद्यालय हैं, उन्हें बनाने के लिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी. एक झटके में करोड़ों डॉलर का दान कर दिया. क्या भारत में पैसेवालों की कमी है? नहीं. फिर क्यों यहां ऐसे संस्थान नहीं खड़े होते? क्यों हम लोग हर चीज के लिए सरकार का मुंह देखते रहते हैं. सरकार अपना काम करे, यह जरूरी है. पर समाज और लोगों की...

More »

बाल श्रम पर प्रभावी कानून न बनने से निराश सत्यार्थी- विनोद अग्निहोत्री

बाल दासता और बाल मजदूरी के खिलाफ दुनिया ने तो कैलाश सत्यार्थी की आवाज़ सुनी। उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। बाल मजदूरी के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून भी बना। लेकिन सत्यार्थी की बात उनके अपने ही देश में नहीं सुनी जा रही है। करीब दस साल से सत्यार्थी सरकार से बाल श्रम उन्मूलन के लिए प्रभावी कानून बनाने और इसके लिए बने अंतरराष्ट्रीय कानून को लागू...

More »

सवा अरब लोगों के लोकतंत्र में सवा करोड़ से ज्यादा 'गुलाम'!

बात विरोधाभासी लग सकती है लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाने वाले भारत में गुलामी की जिन्दगी जीने वाले लोगों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत में गुलामी के आधुनिक रुपों से पीड़ित लोगों की संख्या 1 करोड़ 40 लाख 29 हजार है।(देखें नीचे दी गई लिंक)   ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स 2014 नामक रिपोर्ट के अनुसार चीन में 30 लाख 24 हजार, पाकिस्तान में...

More »

देश में डेढ़ करोड़ लोग जी रहे गुलामी की जिंदगी

मेलबर्न। भारत में लगभग 1.43 करोड़ लोग दासता का जीवन बिताने को मजबूर हैं। दुनियाभर में करीब 35.8 करोड़ इस तरह से जी रहे हैं। इनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, लोगों को मानव तस्करी के जरिये जबरन विवाह, वेश्यावृत्ति, बंधुआ मजदूरी और कर्ज नहीं चुका पाने के कारण दासता के लिए मजबूर किया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में सोमवार को वॉक फ्री फाउंडेशन ने...

More »

लखीमपुर: महिला तस्करी की नई राजधानी- प्रियंका दुबे

रह्मपुत्र और सुबनसिरी जैसी विशाल नदियों के बीच बसा असम का लखीमपुर जिला पहली नजर में खुशहाल इलाका दिखता है. ढलानों पर पसरे चाय-बागान, दूर तक फैले धान के खेत और पानी से लबालब सैकड़ों तालाब. लेकिन सतह को थोड़ा ही कुरेदने पर इस खुशनुमा तस्वीर के पीछे की भयावह सच्चाई दिखती है. पता चलता है कि बागानों में चाय की पत्तियां तोड़ते मजदूरों और पानी में डूबे खेतों में...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close