काठमांडू। नेपाल की न्यायपालिका के 64 साल के इतिहास में पहली बार किसी महिला ने मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला है। 64 वर्षीय सुशीला कार्की ने सोमवार को देश के 25वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। कार्की के नाम की सिफारिश 10 अप्रैल को प्रधानमंत्री केपी ओली की अध्यक्षता वाली संवैधानिक परिषद ने की थी। कार्की को राष्ट्रपति ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। वह पिछले तीन महीने से...
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अपनी हदों में रहें तो ही बेहतर - शंकर शरण
इधर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच विवाद की खबरें लगातार आ रही हैं। वित्त मंत्री ने संसद में कहा न्यायपालिका इतना हस्तक्षेप कर रही है कि लगता है कार्यपालिका के पास बजट पास करने के सिवाय कोई काम नहीं बचेगा। न्यायपालिका हर बात में घुसपैठ करती रहती है। इसके बाद रक्षा मंत्री ने कहा कि न्यायाधीशों की कई टिप्पणियां बेमतलब होती हैं। इसके बाद एक और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी...
More »न्यायपालिका को तो बख्श दें: एन के सिंह
फ्रांस के समाजशास्त्री अलेक्सी डे टॉक्विले और ब्रिटेन के राजनीतिक दार्शनिक जॉन स्टुअर्ट मिल, दोनों ने 25 साल के अंतराल में लोकतंत्र के दो नए खतरों के प्रति आगाह किया था। पहले का मानना था कि इसमें बहुमत के आतंक के शिकार व्यक्ति के पास बचने का कोई चारा नहीं होता। दूसरे ने इस भय की ओर इंगित किया था कि प्रजातंत्र मात्र एक शासन पद्धति न होकर असंगठित भीड़ की...
More »संतुलन खोते लोकतंत्र के स्तंभ-- वेद प्रताप वैदिक
हमारी लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के चार स्तंभ हैं। विधानपालिका यानी संसद, कार्यपालिका यानी सरकार, न्यायपालिका यानी अदालत और खबरपालिका यानी अखबार और टीवी-रेडियो चैनल! क्या ये चारों स्तंभ अपना-अपना काम सही-सही कर रहे हैं? ये सब काम तो कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि उनके काम-काज में कोई बुनियादी कमी आ गई है कि या तो एक स्तंभ का काम दूसरे से लिया जा रहा है या कोई स्तंभ...
More »जजों की नियुक्ति : अपने-अपने तर्क
कॉलेजियम सिस्टम पर चल रही बहस के दो छोर हैं। एक का दावा है कि हमारे देश के सर्वशक्तिमान न्यायाधीशों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार कुछ न्यायाधीशों के पास केवल इसलिए रहना चाहिए, क्योंकि वे न्यायपालिका परिवार का हिस्सा होने के कारण उनके बारे में बेहतर समझ रखते हैं। दूसरा छोर कहता है कि उसमें आम जनता के नुमाइंदों की भी भागीदारी होनी चाहिए, क्योंकि न्यायाधीश केवल न्यायपालिका के...
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