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शुगर इंडस्ट्री और गन्ना किसान एथनॉल क्रांति के जरिये बना रहे भारत में एक ‘मिनी ब्राजील’

-रूरल वॉइस, हरियावां, हरदोई, उत्तर प्रदेश अक्सर राजनीति के केंद्र में रहने वाला चीनी उद्योग और गन्ना उत्पादक किसान मिलकर एक नई इबारत लिख रहे हैं और तेजी से एक महत्वपूर्ण मुकाम की ओर बढ़ रहे हैं। वह मुकाम है एथनॉल उत्पादन के जरिये क्लीन इनर्जी के मामले में देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाना, बशर्ते कि केंद्र और राज्य सरकारें नीतियों और कर व्यवस्था के मामले में दीर्घकालिक सोच पर...

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नैचुरल गैस को औद्योगिक इस्तेमाल के लिए सस्ता हुआ तो संभव है दूसरी स्वच्छ ईंधन क्रांति : सीएसई

-डाउन टू अर्थ, वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए उद्योगों के जरिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल बेहद कारगर रणनीति साबित हो सकती है। हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में औद्योगिक ईकाइयों के जरिए बड़े पैमाने पर प्रदूषण के लिए प्रबल तरीके से जिम्मेदार कोयला ईंधन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में बजट-2021 में स्वच्छ ईंधन को यदि बढ़ावा दिया जाता है तो वायु प्रदूषण की लड़ाई न सिर्फ दिल्ली-एनसीआर के लिए बल्कि...

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26-27 नवंबर को किसानों-मज़दूरों का मोर्चा देश को बचाने की लड़ाई है

-न्यूजक्लिक,  यह एक संयोग मात्र नहीं है, वरन जनांदोलनों के बीच बढ़ती एकता का नमूना है कि 26-27 नवंबर को देश के सारे किसान और मज़दूर संगठनों ने मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोला है, मज़दूरों की आल इंडिया जनरल स्ट्राइक और किसानों का दिल्ली चलो एक ही दिन! मज़दूरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान करने वाले Joint Platform of Central Trade Unions and Sectoral Federations & Associations ने अपने मांग पत्र...

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महामारी के दौर में बहुआयामी गरीबी के चक्र में फंसे लोग, 3 से 10 साल तक पिछड़ सकते हैं विकासशील देश!

बहुआयामी गरीबी मौद्रिक यानी पैसे आधारित गरीबी नहीं है बल्कि यह गैर-मौद्रिक आधारित गरीबी है, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की चुनौतियों से दृढ़ता से जुड़ी है. हालाँकि पहले गरीबी को केवल मौद्रिक यानी धन आधारित गरीबी के संदर्भ में ही परिभाषित किया गया था, लेकिन अब गरीबी को लोगों के अनुभवों की जीवंत वास्तविकता और उनके द्वारा भोगे जाने वाले अनेकों अभावों से जोड़कर देखा जाता...

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अर्थातः सबसे बड़ी सेल, संपत्ति बेचकर राजस्व जुटाने के अलावा सरकार के पास कोई रास्ता नहीं बचा है

-इंडिया टूडे, गरज भारत सरकार की! मौका मोटी जेब वालों के लिए! माल चुनिंदा और शानदार! मंदी के मौके पर भारी डिस्काउंट. एक एयरलाइंस, आधा दर्जन एयरपोर्ट, तेल व गैस पाइपलाइन, बंदरगाहों पर टर्मिनल, रेलवे स्टेशन, ट्रेनें, हाइवे और रेलवे कॉरिडोर के हिस्से, बिजली ट्रांसमिशन लाइनें... बहुत कुछ बिकने वाला है. अफसरों की समितियां, नीति आयोग की मदद से बेचने के तौर तरीके तय करने में लगी हैं. मुहिम नतीजे तक पहुंची...

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