साल 2009 में जब आधार की शुरुआत हुई थी, तो जनता को बताया गया था कि यह भारत के निवासियों को एक पहचान देने की पहल है. यह भी कहा गया था कि आधार बिलकुल स्वैच्छिक है. प्रचार-प्रसार ऐसा हुआ कि लोगों को लगने लगा कि आधार संख्या पाकर वे कई सुविधाओं के पात्र बन जायेंगे. लेकिन, पिछले आठ वर्षों ने इन दावों के खोखलेपन को उजागर कर दिया है. एक...
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AIIMS: एक लाख नहीं है इसलिए घर नहीं जा पा रहा सीवान का रोहित
बिहार के सीवान का रहने वाला चौदह साल का रोहित कुमार एक साल पहले अपने घर जा सकता था, लेकिन एक साल से वह एम्स के वार्ड में पड़ा है क्योंकि उसके पास एक लाख रुपये नहीं हैं। दरअसल रोहित को एक पोर्टेबल वेंटिलेटर चाहिए जिसे खरीद पाने में उसका परिवार असमर्थ है। नई दिल्ली के एम्स के न्यूरो सर्जरी वार्ड-3 के 19 नंबर बेड पर रोहित को पिछले एक साल...
More »प्रदूषण के लिए सरकार जिम्मेवार-- डा. भरत झुनझुनवाला
देश के तमाम शहरों में वायु प्रदूषण ने गंभीर रूप धारण कर लिया है. लोग बीमार हो रहे हैं, परंतु सरकार निष्क्रिय है. सरकार के इस कृत्य को समझने के लिए प्रदूषण का गरीब तथा अमीर पर अलग-अलग प्रभाव को समझना होगा. अर्थशास्त्र में दो तरह के माल बताये जाते है- व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक. व्यक्तिगत माल वे हुए, जिन्हें व्यक्ति अपने स्तर पर बाजार से खरीद सकता है जैसे चाय...
More »क्या आप डोरिस फ्रांसिस को जानते हैं -- शशिशेखर
‘ईश्वर अपना सबसे कठिन युद्ध अपने सबसे बलवान योद्धा को सौंपते हैं।' बाइबिल की यह सूक्ति गाजियाबाद की डोरिस फ्रांसिस पर सौ फीसदी खरी उतरती है। शायद आपने उनका नाम न सुना हो। साधारण कुल में जन्मे और जिंदगी भर आर्थिक पैमाने की तली में खडे़ ऐसे लोगों पर अक्सर किसी की नजर नहीं जाती। डोरिस नौ वर्ष की उम्र में अपने भाई और बहन के साथ पंजाब से दिल्ली पहुंची थीं।...
More »सरकारी राजस्व का सदुपयोग हो --- डा. भरत झुनझुनवाला
पांच सौ तथा हजार रुपये के नोट बंद करके सरकार ने साहसिक कदम उठाया है. आज देश में बड़े पैमाने पर नकद में धंधा हो रहा है, जिससे टैक्स से बचा जा रहा है. मुझे कभी-कभी हजारों पन्ने फोटोकाॅपी कराने पड़ते हैं. मेरे फोटोकाॅपियर मित्र इसकी रसीद नहीं देते हैं, चूंकि वे कागज को नकद में खरीदते हैं. इस कागज को बनानेवाली फैक्ट्री और बेचनेवाले दुकानदार भी टैक्स नहीं देते...
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