नई दिल्ली: सबका साथ, सबका विकास... प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का ये मूलमंत्र रहा है. लेकिन, क्या सचमुच ऐसा हुआ? मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल के दौरान विभिन्न योजनाओं का विश्लेषण किया जाए तो यही पता चलता है कि नारों के शोर में विकास कहीं गुम हो गया है. मसलन, इस एक खबर पर पहले नजर डालिए. इकोनॉमिक टाइम्स में 18 अप्रैल 2016 को प्रकाशित एक लेख में...
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जौनपुर के किसानों का सवाल, मोदी ने 2000 रुपये देकर वापस क्यों ले लिया
नई दिल्ली: ‘हमें न तो आवास मिला और न ही शौचालय मिला है. सरकार ने गैस सिलेंडर तो दिया है लेकिन उसे भी बहुत कम इस्तेमाल करता हूं, क्योंकि हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि उसे दोबारा भरा सकें. इस बीच पीएम किसान योजना के तहत सरकार ने दो हजार रुपये खाते में भेजे थे, लेकिन कुछ ही घंटों में उसे वापस ले लिया. अब बताइए हम जैसा गरीब...
More »बुनियादी आय गारंटी योजना-- आकार पटेल
छोटे किसानों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपये नकद देने की योजना की सरकारी घोषणा एक शानदार कदम माना जा रहा है, जिससे चुनाव में राजनीतिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है. बजट में घोषित इस योजना के पहले दो बातें हुई हैं. पहली वह रिपोर्ट, जिसे सरकार ने दबा दिया है, जो कहती है कि बेराजगारी दर 45 वर्षों में सर्वाधिक है. दूसरी यह कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी न्यूनतम...
More »45 परिवारों की जिंदगी झोपड़ी में, 55 वर्षों में न अनाज मिला
रामगढ़ शहर से 15 किलोमीटर दूर कुजू-घाटो मुख्य सड़क से उतरने पर बमुश्किल 200 मीटर दूर कुंदरिया बस्ती का मल्हार टोला़ इस टोले तक जाने के लिए पथरीली संकरी सड़क, जंगल के बीच एक ऊंचे टीले पर प्लास्टिक से बनी दर्जनों झोपड़िया़ं जंगल की सूखी झाड़ियों की घेराबंदी कर बांस-बल्ली में प्लास्टिक लगा कर लाेगाें ने 40 से 50 झोपड़ी बना लिये़ ये कोई खानाबदोश नहीं, बल्कि अपने झारखंड...
More »रोजगार और सामाजिक सुरक्षा-- अनुज लुगुन
मई दिवस का सप्ताह श्रमिकों के संघर्ष के इतिहास, उनके अधिकार और भविष्य में उनकी स्थिति के विश्लेषण, बहस और नारेबाजी का सप्ताह बन जाता है. ‘दुनिया के मजदूरों एक हो' के बुलंद नारों के साथ यह धीरे-धीरे अगले मई दिवस तक के लिए गुम हो जाता है. श्रम और उसके मूल्य का संबंध मानव समाज के इतिहास के साथ जुड़ा हुआ है. विभिन्न समय में यह अलग-अलग रूपों...
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