हाल ही में महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कीटनाशक की चपेट में आकर अठारह किसानों और खेत में काम कर रहे मजदूरों की मौत हो गई है। बीते बीस दिनों के दौरान कोई पांच सौ किसान और श्रमिक अस्पताल में भर्ती हुए हैं। असल में, इस इलाके में कपास की खेती होती है। इस बार कपास में गुलाबी कीड़े (पिंक बोलवर्म) आ गए हैं। मजबूरन किसानों ने प्रोफेनोफॉस जैसे जहरीले...
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छोटे कदमों से बड़े बदलाव-- वरुण गांधी
कायदे से तो भारत के गांवों में कोई परेशानी ही नहीं होनी चाहिए थी- आखिर कृषियोग्य भूमि के मामले में हमारा देश दुनिया में दूसरे स्थान पर है. लेकिन, उपजाऊ जमीन के एक तिहाई पर ही सिंचाई की सुविधा है, बाकी क्षेत्र बारिश पर निर्भर है. छोटी होती जोत और खेती की बढ़ती लागत से किसान पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2014 से 17 के...
More »फसलों के लिए फ्लाइ ऐश बेहतर खाद
धनबाद : पावर प्लांटों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा फ्लाइ ऐश फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में वरदान साबित हो सकता है. धनबाद स्थित सिंफर के दो वैज्ञानिकों की खोज में यह दावा किया गया है. पढ़िए यह रिपोर्ट. केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर), धनबाद के वैज्ञानिकों की नयी खोज पावर प्लांटों एवं किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है. अभी कचरा के रूप...
More »जो महत्तम हैं, वे लघुत्तम क्यों!-- अनिल रघुराज
हर किसी का अपना-अपना आर्थिक जीवन है. वयस्क वर्तमान हैं, तो बच्चे भविष्य की तैयारी हैं. यहां तक कि बेरोजगारों का भी आर्थिक जीवन है, क्योंकि यहां सिर्फ कमाने या बनाने ही नहीं, खपत का भी योगदान है. हम अपने पास-पड़ोस के आर्थिक जीवन से भी वाकिफ रहते हैं. लेकिन, जब सारे देश की बात होती है, तो सब कुछ धुआं-धुआं हो जाता है. उसमें भी जब जीडीपी की चर्चा...
More »भूजल की फिक्र किसे है-- दीपक रस्तोगी
विज्ञान पत्रिका ‘नेचर जियोसाइंस' का यह खुलासा चिंतित करने वाला है कि सिंधु और गंगा नदी के मैदानी क्षेत्र का तकरीबन साठ फीसद भूजल प्रदूषित हो चुका है। उसका दावा है कि चार दक्षिण एशियाई देशों में फैले इस विशाल क्षेत्र का पानी न तो पीने योग्य बचा है और न ही सिंचाई योग्य। हालत यह है कि कहीं भूजल सीमा से अधिक खारा हो चुका है तो कहीं उसमें...
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