-न्यूजक्लिक, इस वर्ष वैश्विक महामारी के दौरान कुछ देशों में स्कूली शिक्षा से जुड़ी चर्चित घटनाएं घटीं, जो कहीं रोचक बहस तो कहीं चिंता का सबब बन गईं। बात शुरू करते हैं हांगकांग से, जहां स्कूल परिसरों में बच्चों द्वारा किए जाने वाले राजनीतिक गीत-संगीत के आयोजन को लेकर वहां की सरकार और विशेष तौर पर शिक्षा मंत्रालय ने सख्त आपत्ति जताई थी और कहा था कि स्कूली बच्चों को चाहिए...
More »SEARCH RESULT
आत्महत्याओं पर एनसीआरबी डेटा को सावधानी के साथ समझना
पिछले वर्षों की तुलना में 2020 के दौरान भारत में आत्महत्याओं की कुल संख्या में वृद्धि हाल ही में सुर्खियों में रही है. जबकि कुछ मीडिया टिप्पणीकारों ने कहा है कि 2020 में आर्थिक संकट (नौकरी छूटने, आय में कमी, व्यवसाय में विफलता और बढ़ती भूख, अन्य कारणों के अलावा) के कारण अधिक आत्महत्याएं हो सकती हैं, अन्य ने कहा है कि घर में अलगाव और बिगड़ती मानसिक स्वास्थ्य स्थिति...
More »सिर्फ 16 राज्य/UT के निजी स्कूलों में वंचित समूह के बच्चों को फ्री में पढ़ाया जाता हैः रिपोर्ट
-द प्रिंट, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ चाइल्ड राइट्स – एनसीपीसीआर) की एक रिपोर्ट में पाया गया है कि देश भर में सिर्फ 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ही वंचित समूहों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (एकनॉमिकली वीकर सेक्शंस- ईडब्ल्यूएस) के छात्रों को बिना किसी शुल्क के निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में प्रवेश प्रदान किया जाता है. एनसीपीसीआर ने बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य...
More »भारत में 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार, 17.7 लाख अत्यंत कुपोषित: सरकारी आंकड़े
-द वायर, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में बताया है कि देश में 33 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं और इनमें से आधे से अधिक अत्यंत कुपोषित की श्रेणी (एसएएम) में आते हैं. कुपोषित बच्चों वाले राज्यों में महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात शीर्ष पर हैं. महिला और बाल विकास मंत्रालय ने निर्धन से निर्धनतम लोगों में कोविड...
More »महामारी से कितनी प्रभावित हुई दलित-आदिवासी शिक्षा?
-न्यूजक्लिक, पिछले दो सालों में कोरोना महामारी ने अन्य व्यवस्थाओं के साथ शिक्षा व्यवस्था को भी अस्त-व्यस्त कर दिया। सुखद है कि अब धीरे-धीरे शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है। महामारी ने यूं तो सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को भी प्रभावित किया पर दलित-आदिवासी छात्र-छात्राओं का तो भविष्य ही दांव पर लग गया। इसमें हमारी जातिवादी और पितृसत्तावादी मानसिकता और उभर कर सामने आई। हाल ही में दलित आर्थिक अधिकार...
More »